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Bulldozer case: यूपी सरकार को बड़ी राहत, बुलडोजर मामले पर जमीयत उलेमा ए हिंद को सुप्रीम कोर्ट ने दिया तगड़ा झटका

Bulldozer case: इससे पहले यूपी सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई। जिन लोगों द्वारा अवैध निर्माण कराया गया था प्रशासन के द्वारा उन्हीं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है। सरकार ने अपने जवाब में ये कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद याचिका दाखिल कर कोर्ट को गुमराह करने का काम कर रही है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर रोक लगा दी है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान  जमीयत उलेमा ए हिंद को झटका देते हुए कहा कि वो इस तरह के आदेश कैसे दे सकते हैं?। बता दें, जमीयत उलेमा ए हिंद ने याचिका में कोर्ट से  ‘बुलडोजर’ की करवाई पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे ने कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान ये मांग की कि इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने ये साफ कर दिया कि वो इस तरह का आदेश कैसे दे सकते हैं?। अब कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 10 अगस्त तक के लिए टाल दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में मध्यप्रदेश और गुजरात को भी नोटिस जारी कर इस तरह की कार्रवाई पर जवाब मांगा है।

पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘कानून का पालन करना होगा, इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। किन्तु क्या हम एक सर्वव्यापी आदेश पारित कर सकते हैं? ऐसा सर्वव्यापी आदेश पारित करने से क्या हम अधिकारियों को उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोकेंगे।”

जमीयत उलेमा ए हिंद ने लगाई है याचिका

हाल ही में कानपुर, प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में हुईं हिंसाओं के बाद आरोपियों की अवैध संपत्तियों पर योगी सरकार ने बुलडोजर से एक्शन लिया गया था। इन्हीं कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। याचिका में ये कहा गया है कि यूपी सरकार जानबूझकर मुसलमानों पर एकतरफा कार्रवाई करने का काम कर रही है।

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यूपी सरकार ने दिया था ये जवाब

इससे पहले यूपी सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई। जिन लोगों द्वारा अवैध निर्माण कराया गया था प्रशासन के द्वारा उन्हीं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है। सरकार ने अपने जवाब में ये कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद याचिका दाखिल कर कोर्ट को गुमराह करने का काम कर रही है। लिहाजा इस याचिका को सुनवाई योग्य न मानते हुए ऐसी याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए। सरकार ने कोर्ट में ये कहा है कि जिन लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया था, केवल उन्हीं लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।