
नई दिल्ली। 2020 में सीएए कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। देशभर में प्रदर्शन की आड़ में हिंसक गतिविधियां भी देखने को मिली थी। विरोध प्रदर्शन की आड़ में कई शरारती तत्वों ने अपने नापाक इरादों को जमीन पर उतारते हुए सार्वजनिक संपत्तियों को क्षति पहुंचाई थी। जिसके बाद सककार ने हिंसक प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया। जिसके राज्य सरकारों ने अपनी कार्ययोजना पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सीएए के दौरान विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए शरारती तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार हो चुकी है।
इसी बीच योगी सरकार ने साल 2020 में सीएए कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन की आड़ में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली, दावा न्यायाधिकरण मेरठ ने प्रदर्शन में शामिल शरारती तत्वों की संपत्ति वसूलने की कार्रवाई की है। हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल शरारती तत्वों के खिलाफ सरकार ने 427439 रुपए वसूलने का आदेश दिया गया है। इस तरह प्रत्येक व्यक्ति को 4 हजार 971 रुपए वसूला जाएगा। इससे पहले योगी सरकार ने विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों की संपत्ति कुर्क करने का मन बनाया था, लेकिन बाद में सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। वजह कुछ विधिक थी।
ध्यान रहे, साल 2020 में केंद्र सराकर ने सीएए यानी की नागरिकता संशोधन कानून लेकर आई थी। इस कानून में प्रावधान किया गया था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में अपने धर्म की वजह से प्रताड़ित किए गए हिंदू, ईसाई, बौद्ध और सिख को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था। सीएए के तहत उन सभी लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था, जो भारत में साल 2014 से पहले रह रहे हैं, लेकिन संसद में इस विधेयक के पेश होने के बाद देशभर में इसके विरोध में प्रदर्शन देखने को मिला था।
प्रदर्शनकारी सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाएगा। जिसके बाद देशभर में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिला। दरअसल, प्रदर्शन में शामिल लोगों को अपनी नागरिका छीने जाने का डर सता रहा था, इसलिए इस कानून का विरोध किया जा रहा है। हालांकि, उस वक्त केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में स्पष्ट कर दिया था कि इस कानून के लागू होने के बाद किसी की भी नागरिकता पर आंच नहीं आएगी, लेकिन केंद्रीय मंत्री के इस आश्वासन का प्रदर्शनकारियों पर कोई असर नहीं पड़ा। देशभर में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी रहा।