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Tirupati Laddu: तिरुपति लड्डू विवाद, सुप्रीम कोर्ट की आंध्र प्रदेश के सीएम पर सख्त टिप्पणी, कहा – “बयान देने में देरी क्यों?”

Tirupati Laddu: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब जुलाई में रिपोर्ट आ चुकी थी, तो बयान देने में दो महीने की देरी क्यों हुई। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, “जब आप निश्चित नहीं थे कि सैंपल किस घी का लिया गया था, तो आपने बयान क्यों दिया?” इस पर राज्य सरकार के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि 50 साल से कर्नाटक की ‘नंदिनी’ सहकारी संस्था से घी लिया जा रहा था, लेकिन पिछली सरकार ने इसे बदल दिया।

नई दिल्ली। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम को लेकर चल रहे विवाद पर सोमवार (30 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को फटकार लगाई और सवाल किया कि जुलाई में आई रिपोर्ट पर उन्होंने दो महीने बाद बयान क्यों दिया। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सुब्रमण्यम स्वामी के बीच तीखी बहस देखने को मिली। स्वामी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान का जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता है और जब राज्य के मुखिया ही ऐसा बयान देते हैं, तो निष्पक्ष जांच की उम्मीद कम हो जाती है।

सुब्रमण्यम स्वामी का मकसद क्या है?

मुकुल रोहतगी, जो राज्य सरकार की ओर से पेश हुए, ने कोर्ट को बताया कि सुब्रमण्यम स्वामी पहले तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट से जुड़े हुए थे और इसलिए उनकी याचिका पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या उनकी याचिका निष्पक्ष मानी जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी का असली मकसद राज्य सरकार पर निशाना साधना है।

इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने टिप्पणी की कि स्वामी का कहना है कि जिस घी का सैंपल लिया गया था, उसे TTD ट्रस्ट ने इस्तेमाल नहीं किया। इसके साथ ही जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जब जांच अभी जारी है, तो बीच में ऐसा बयान देना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री का पद एक संवैधानिक पद है और ऐसे बयान संवेदनशील होते हैं।”


“रिपोर्ट आने के दो महीने बाद बयान क्यों?” – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब जुलाई में रिपोर्ट आ चुकी थी, तो बयान देने में दो महीने की देरी क्यों हुई। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, “जब आप निश्चित नहीं थे कि सैंपल किस घी का लिया गया था, तो आपने बयान क्यों दिया?” इस पर राज्य सरकार के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि 50 साल से कर्नाटक की ‘नंदिनी’ सहकारी संस्था से घी लिया जा रहा था, लेकिन पिछली सरकार ने इसे बदल दिया।

जस्टिस गवई ने पूछा कि बिना पूरी जानकारी और तथ्यों की पुष्टि के इस तरह का बयान देना जरूरी क्यों था? राज्य सरकार के वकील ने बताया कि जुलाई में किस समय घी का सैंपल भेजा गया था और उसकी जांच प्रक्रिया क्या थी।

“भगवान को राजनीति से दूर रखें”

सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भगवान और धर्म को राजनीति से दूर रखें। जस्टिस गवई ने कहा कि राज्य सरकार ने 26 सितंबर को SIT बनाई, लेकिन बयान उससे पहले ही दे दिया गया था। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा, “आप कह सकते थे कि पिछली सरकार में घी का टेंडर गलत तरीके से आवंटित हुआ था, लेकिन आपने सीधे लड्डू प्रसादम पर ही सवाल उठा दिया।”