नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट 2025 के भाषण पर हर वर्ग की नजर है, लेकिन देश के मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा समुदाय को वित्त मंत्री के बजट 2025 से बहुत उम्मीदें हैं। इसकी वजह एक तरफ महंगाई है, तो दूसरी तरफ बचत का रास्ता तलाशना है। मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा महंगाई से बचने और बचत का रास्ता तलाशने में काफी वक्त से जुटा है। ऐसे में बीते दिनों इस चर्चा ने जोर पकड़ा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2025 में इनकम टैक्स यानी आयकर संबंधी बड़े छूट का एलान कर सकती हैं। सोशल मीडिया और मेनस्ट्रीम मीडिया में ये चर्चा चल रही है कि नई टैक्स रिजीम में टैक्स फ्री आय को 10 लाख तक किया जा सकता है और 15 लाख तक की आय पर इनकम टैक्स की दर घटाकर 15 फीसदी की जा सकती है। अगर वित्त मंत्री ऐसा करती हैं, तो मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा के चेहरे खिल उठेंगे। अभी नई और पुरानी इनकम टैक्स रिजीम में कितना कर देना होता है, उसे भी देख लेते हैं।
नई इनकम टैक्स रिजीम
नई इनकम टैक्स रिजीम को लोकलुभावन बनाने के लिए इसमें 7 लाख तक की आय को इनकम टैक्स मुक्त किया गया है। नौकरीपेशा वर्ग को इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर और 75000 रुपए की छूट मिलती है। नई इनकम टैक्स रिजीम को देखें, तो 3 लाख सालाना आय पर शून्य कर लगता है। 3 से 7 लाख तक की आय पर 5 फीसदी, 7 लाख से 10 लाख तक 10 फीसदी, 10 से 12 लाख की आय तक 15 फीसदी, 12 लाख से 15 लाख की आय तक 20 फीसदी और 15 लाख सालाना या उससे अधिक आय पर 30 फीसदी इनकम टैक्स लगता है। इसके अतिरिक्त इसमें सेस भी हैं।
पुरानी इनकम टैक्स रिजीम
पुरानी इनकम टैक्स रिजीम में 1.5 लाख तक की बचत अगर टैक्स सेविंग योजनाओं मसलन पीपीएफ, एनएससी वगैरा में की जाए, तो उस पर इनकम टैक्स छूट मिलती है। पुरानी टैक्स रिजीम को देखें, तो 2.5 लाख रुपए सालाना आय पर इनकम टैक्स नहीं देना होता। 2.5 लाख से 3 लाख की आय पर 60 साल से कम उम्र वालों और एचयूएफ को 5 फीसदी और इससे ज्यादा उम्र वालों को कोई टैक्स नहीं देना होता। 3 लाख से 5 लाख तक की आय पर 80 साल की उम्र वालों तक पर 5 फीसदी इनकम टैक्स लगता है। जबकि, इससे ज्यादा उम्र वालों के लिए इतनी आय भी कर मुक्त है। 5 लाख से 10 लाख की सालाना आय पर पुरानी इनकम टैक्स रिजीम के तहत सभी आयु वर्गों पर 20 फीसदी कर लगता है। वहीं, 10 लाख या इससे ज्यादा की सालाना आमदनी पर सभी आयु वर्ग के लोगों पर 30 फीसदी इनकम टैक्स लगता है। इसमें सरचार्ज और सेस भी अलग से लिए जाते हैं।