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Rahul Gandhi In US: फिर विवाद में घिर सकते हैं राहुल गांधी, अमेरिका में कांग्रेस नेता के कार्यक्रम से जुड़े हैं भारत विरोधी संगठन! ट्विटर हैंडल का दावा

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों में घिर सकते हैं। इस बार राहुल गांधी अमेरिका गए हैं। वहां कई कार्यक्रमों में राहुल गांधी को हिस्सा लेना है। अभी राहुल गांधी सैन फ्रांसिस्को में हैं। 4 जून को अमेरिका के न्यूयॉर्क में उनका एक कार्यक्रम होना है। राहुल गांधी पहले लंदन में बयान देकर विवादों में घिर चुके हैं।

नई दिल्ली। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों में घिर सकते हैं। इस बार राहुल गांधी अमेरिका गए हैं। वहां कई कार्यक्रमों में राहुल गांधी को हिस्सा लेना है। अभी राहुल गांधी सैन फ्रांसिस्को में हैं। 4 जून को अमेरिका के न्यूयॉर्क में उनका एक कार्यक्रम होना है। राहुल गांधी के न्यूयॉर्क वाले इस कार्यक्रम के बारे में ‘डिसइन्फो लैब’ नाम के ट्विटर हैंडल ने ट्वीट की एक शृंखला जारी की है। इन ट्वीट्स में डिसइन्फो लैब ने दावा किया है कि राहुल के न्यूयॉर्क वाले कार्यक्रम से भारत विरोधी संगठन जुड़े हुए हैं। डिसइन्फो लैब के मुताबिक ये संगठन पाकिस्तान के कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और मुस्लिम ब्रदरहुड से संबंध रखते हैं।

ट्विटर हैंडल डिसइन्फो लैब का दावा है कि न्यूयॉर्क में राहुल गांधी के कार्यक्रम से तंजीम अंसारी नाम का व्यक्ति जुड़ा है। तंजीम अंसारी न्यूजर्सी के अमीर आउटरीच कमेटी यानी MCNJ का है। इस संगठन का टॉप नेता पाकिस्तान में जन्मा जवाद अहमद है। जवाद अहमद उत्तरी अमेरिका के इस्लामिक सर्कल ICNA का प्रोजेक्ट डायरेक्टर है। डिसइन्फो लैब के मुताबिक आईसीएनए कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है। ये पाकिस्तान के जमात-ए-इस्लामी और आतंकी संगठनों से रिश्ते रखता है। ये संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन की भी तारीफ करता है। जबकि, सलाहुद्दीन कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए आतंकी गतिविधियां चला रहा है। राहुल के कार्यक्रम का एक और समन्वयक मोहम्मद असलम है। असलम मुस्लिम सेंटर ऑफ ग्रेटर प्रिंसटन MCGP का सदस्य है। ये संगठन आईसीएनए का भी भागीदार है। बैन किए गए कट्टरपंथी ग्रुप सिमी के संस्थापक भी आईसीएनए के सदस्य रहे हैं।

राहुल के कार्यक्रम के एक और समन्यवक मिन्हाज खान भी भारत विरोधी गुट इंडियन-अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल IAMC से जुड़ा है। डिसइन्फो लैब के मुताबिक आईएएमसी ने हमेशा भारत में मानवाधिकार, धार्मिक आजादी और सांप्रदायिक अशांति वाली फर्जी खबरें फैलाई हैं। इस संगठन ने मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान 2013-14 में अमेरिकी लॉबी फर्म को 55000 डॉलर का भुगतान कर संयुक्त राष्ट्र की संस्था USCIRF में भारत के खिलाफ मुद्दा उठाया था। आईएएमसी का कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद का संबंध इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका IMANA से है। इस संगठन ने कोरोना काल में भारत में मदद के नाम पर काफी पैसा जुटाया और फिर उसे खा गया। इमाना संगठन पाकिस्तानी सेना के अफसरों से भी जुड़ा है। साथ ही हिजबुल और लश्कर-ए-तैयबा से भी इसके रिश्ते हैं। डिसइन्फो लैब ट्विटर हैंडल के मुताबिक आईएएमसी और आईसीएनए के कट्टरपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड से भी रिश्ते हैं। ISNA का भी ये हिस्सा रहे हैं। आईएसएनए पर साल 2017 में कनाडा की राजस्व एजेंसी ने हिजबुल मुजाहिदीन के लिए फंडिंग का आरोप लगाया था।