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Amit Shah on Article 370 in Rajya Sabha: जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक चर्चा के बाद राज्यसभा से हुआ पारित

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा से लंबी चर्चा के बाद जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया।  इस बिल के संदर्भ में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने काफी देर तक अपनी बात रखी। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने धारा 370, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और झारखंड में धीरज साहू …

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा से लंबी चर्चा के बाद जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया।  इस बिल के संदर्भ में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने काफी देर तक अपनी बात रखी। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने धारा 370, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और झारखंड में धीरज साहू के घर पर जारी आईटी की छापेमारी के संदर्भ में अपनी बात रखी। आखिर अमित शाह ने अपने संबोधन में क्या कुछ कहा है ? आगे हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे, लेकिन उससे पहले आइए जरा ये जान लेते हैं कि आखिर जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक क्या है ?

जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक क्या है? 

जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन ) विधेयक, जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2004 को संशोधन करता है। यह अधिनियम में संशोधन करके कश्मीरी प्रवासियों और विस्थापितों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व होने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह विधेयक पहले कमजोर और वंचित वर्ग के लोगों के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब यह अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में जाना जाता है। जम्मू-कश्मीर आरक्षण और पुनर्गठन विधेयक में कश्मीरी प्रवासी से दो नामित सदस्यों को नामित करने का प्रावधान है। जिसमें एक महिला सदस्य होंगी। वहीं, किसी भी विस्थापित को विधानसभा में नामित करने की शक्ति राज्यपाल के पास होगी। इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर की विधानसभा की सीटों को 107 से बढा़कर 114 करने का प्रावधान था। जिसमें से 9 अनुसूचित वर्गों के लिए आरक्षित है।

अनुच्छेद 370 को लेकर राज्यसभा में गरजे अमित शाह

वहीं, धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, “परसों भी कई सवाल उठाए गए। लोकसभा में कहा गया कि बिल लंबित है और जल्दबाजी में लाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा और हमें इसका इंतजार करना चाहिए। ये सभी स्टैंड न्याय के लिए नहीं बल्कि न्याय के लिए थे।” पीएम मोदी द्वारा लिए गए फैसलों को रोकने के लिए। गृह मंत्री ने आगे कहा कि ”…सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि राज्यपाल शासन और राष्ट्रपति शासन की घोषणाओं को चुनौती देना ठीक नहीं है…जब अस्थायी प्रावधान किया गया तो सवाल उठा कि अगर यह अस्थायी है तो इसे कैसे हटाया जाएगा? अनुच्छेद 373 के अंदर यह प्रावधान डाला गया कि राष्ट्रपति धारा 370 में संशोधन कर सकते हैं, उस पर प्रतिबंध लगा सकते हैं और उसे संविधान से पूरी तरह बाहर भी कर सकते हैं…”