नई दिल्ली। अगर किसी की कोई कार, बाइक पुरानी हो जाती है तो ज्यादातर लोग उसे बेच देते हैं। बहुत कम लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी गाड़ी से लगाव के कारण हमेशा उसे अपने पास ही रखते हैं मगर गुजरात में कार प्रेम का एक अनोखा मामला सामने आया है जिस सुनकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे। दरअसल गुजरात के अमरेली में एक किसान परिवार ने अपनी लकी कार को विधि विधान के साथ समाधि दे दी। इतना ही नहीं लगभग 4 लाख रुपए खर्च करके 1500 लोगों को भोज भी कराया गया। कार को समाधि देने की खबर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है।
Gujarat: In Amreli, farmer Sanjay Polra gave his 15-year-old car a symbolic “final resting place” in gratitude for the prosperity it brought his family. The family held a ceremony with the village, planting trees at the site to commemorate their fortune-changing vehicle pic.twitter.com/vtoEkVQLIP
— IANS (@ians_india) November 8, 2024
गुजरात के लाठी तालुका के पदरशिंगा गांव के किसान संजय पोलरा ने बताया कि उन्होंने साल 2006 में यह कार सेकेंड हेंड खरीदी। जब से उन्होंने कार ली उसके बाद से परिवार में समृद्धि आनी शुरू हो गई। आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ व्यापार और समाज में परिवार का सम्मान बढ़ गया। इसलिए उनका पूरा परिवार उस कार को लकी मानता है। संजय पोलरा का कहना है कि वो अपनी इस लकी कार के लिए कुछ अलग करना चाह रहे थे जिससे कार के लिए एक मिसाल बन सके, इसलिए उनके और परिवार के अन्य लोगों ने कार को समाधि देने के बारे में फैसला किया।
Gujarat Family Honours ‘Lucky’ Car 12-year-old Wagon R With Burial Ceremony, 1,500 People Attend.
The samadhi ceremony was held as per Hindu rituals and in the presence of seers and religious leaders. Nearly 1,500 people were invited, and a feast was organised. pic.twitter.com/MfomB50Ivm— PUNEET VIZH (@Puneetvizh) November 9, 2024
इसके लिए उन्होंने अपने खेत में बुलडोजर के जरिए 10 फीट गहरा गड्ढा खुदवाया और पंडितों को बुलाकर पूरे विधि विधान तथा मंत्रोच्चार के साथ कार को समाधि दी गई। इस दौरान कार को फूल मालाओं और गुलाब की पंखुड़ियों से सजाया भी गया। इस नजारे को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां मौजूद रहे। कार को समाधि देने के बाद किसान परिवार ने एक भोज भी रखा जिसमें लगभग 1500 लोगों ने खाया खाया। इस पूरे कार्यक्रम में किसान परिवार ने लगभग 4 लाख रुपए खर्च कर दिए।