UP Vidhansabha session: यूपी ने रचा इतिहास, महिलाओं को समर्पित रही विधानमंडल की कार्यवाही

UP Vidhansabha session: सदन में महिला हितों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा बीते साढ़े पांच वर्षों में महिला सशक्तिकरण के लिए चलाए जा रहे ‘मिशन शक्ति’ जैसे प्रयासों और उनके परिणामों का संक्षिप्त ब्यौरा भी सदन में रखा। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या की समस्या के निदान के लिए सरकार ने पहले मुखबिर योजना चलाई और फिर मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का कार्यक्रम आगे बढ़ाया।

Avatar Written by: September 22, 2022 6:14 pm

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों में गुरुवार को एक इतिहास रचा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर दोनों सदनों में पूरा एक दिन महिला सदस्यों को समर्पित किया गया था, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष की महिला सदस्यों ने भागीदारी की और महिला हितों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। मानसून सत्र के चौथे दिन विधानसभा और विधान परिषद में केवल महिलाओं से जुड़े मुद्दों की गूंज रही। देश की किसी विधानसभा में यह पहला मौका था, जबकि महिला सदस्यों के लिए पूरा दिन समर्पित किया गया। आमतौर पर सरकार की पहल का विरोध करने वाला विपक्ष भी मुख्यमंत्री की इस सोच को लेकर सकारात्मक रहा। ऐतिहासिक कार्यवाही में चर्चा की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने वैदिक उद्धरणों और आख्यानों का उल्लेख करते हुए भारतीय संस्कृति में महिलाओं की महत्ता को रेखांकित किया। महर्षि वेदव्यास रचित श्लोक “नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृ समा गतिः। नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रिया॥” का संदर्भ लेते हुए कहा कि मां के समान कोई छाया नहीं, कोई सहारा नहीं, कोई रक्षक नहीं, मां के समान कोई प्रिय भी नहीं है। मातृशक्ति का यह भाव अगर हर नागरिक के मन में आ जाए तो कुछ भी असंभव नहीं। सीएम ने वैदिक कालीन विदुषी महिलाओं ब्रह्मवादिनी घोषा, लोपामुद्रा, अपाला से लेकर माता अनुसुइया, सती सावित्री, मैत्रेयी, रुक्मिणी आदि का स्मरण किया और बताया कि प्राचीन काल से लेकर आज के दौर तक हर काल में समाज निर्माण में माताओं-बहनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि आज सदन में आज सभी लोग नारी शक्ति को देख रहे हैं। आज सदन का दिन महिलाओं के नाम है। सीएम ने कहा कि भारत में महिला-पुरुष दोनों को समान अधिकार है। हम सभी को पता है कि मातृ शक्ति से सब कुछ संभव है।

स्वावलम्बी की राह पर हैं यूपी की सशक्त बेटियां-

सदन में महिला हितों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा बीते साढ़े पांच वर्षों में महिला सशक्तिकरण के लिए चलाए जा रहे ‘मिशन शक्ति’ जैसे प्रयासों और उनके परिणामों का संक्षिप्त ब्यौरा भी सदन में रखा। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या की समस्या के निदान के लिए सरकार ने पहले मुखबिर योजना चलाई और फिर मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का कार्यक्रम आगे बढ़ाया। आज लगभग 13.67 लाख बेटियों को इस योजना का लाभ प्रदेश में प्राप्त हो रहा है। निराश्रित महिला पेंशन योजना में पेंशन राशि ₹1000 की गई और आज 31.50 लाख महिलाओं को इसका लाभ मिल रहा है। सीएम ने कहा कि देश में सबसे बड़ा सिविल पुलिस बल उत्तर प्रदेश का है, लेकिन आजादी के बाद से 2017 तक 70 वर्षों में यहां मात्र 10 हजार महिला अधिकारी, कार्मिक थीं। बीते साढ़े पांच साल में इसे चरणबद्ध रूप से बढ़ाकर 35 हजार से अधिक किया गया है। एक अभिनव पहल करते हुए 10417 नई महिला पुलिस बीट बनाई गई है, जहां महिला पुलिस की तैनाती कर उनकी प्रतिभा का लाभ लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 1584 थाने हैं। हर थाने पर महिला हेल्प डेस्क बनाये गए हैं। इतना ही नहीं, 2017 में सरकार बनने के बाद 3195 एंटी रोमियो स्क्वॉड गठित किए गए। इस स्क्वाड ने 6,75,143 स्थानों पर चेकिंग करते हुए 28,33,893 संदिग्ध लोगों की चेकिंग की गई। इसके अलावा, राज्य आजीविका मिशन में 66 लाख महिलाओं को जोड़ा गया है। जिन 45 लाख परिवारों को प्रधानमंत्री आवास मिला है, आज उनके चेहरे पर खुशी देखते ही बनती है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की मदद से 1,81,686 जोड़ों को सरकार ने सहयोग प्रदान किया। प्रदेश में 2 करोड़ 61 लाख परिवारों के घरों में शौचालय बनवाये गए, यह शौचालय निर्माण न केवल स्वच्छता की मुहिम का हिस्सा है, बल्कि नारी गरिमा से भी जुड़ा है। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से 40 लाख परिवारों को अपने घर का मालिकाना दस्तावेज मिला है तो पीएम स्वनिधि के तहत 02 लाख महिलाएं सीधा लाभ पाकर वित्तीय स्वावलम्बन की ओर बढ़ी हैं।

बताया एनसीआरबी का डेटा, कहा महिला संबंधी अपराधों में हुई बड़ी गिरावट

मुख्यमंत्री ने महिला एवं बाल अपराध से जुड़े मामलों में आई बड़ी गिरावट और बेहतर हुए माहौल का भी जिक्र किया। एनसीआरबी के आंकड़ों के हवाले से मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला एवं बाल अपराध के मामलों में प्रभावी अभियोजन के माध्यम से 32 मामलों में अपराधियों को मौत की सजा दिलाई गई है। 10 वर्ष से अधिक सजा पाने वाले 1191 हैं, जबकि 1431 को अर्थदंड देना पड़ा और 1323 अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा हुई। सीएम ने कहा कि 10 वर्ष से कम सजा पाने वाले 3420 हैं जबकि 4751 को जिला बदर करने की कार्रवाई हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते 05 साल ने बलात्कार में बलात्कार 32%, अपहरण में 29% शीलभंग में 25% और दहेज हत्या के मामलों में आई 12% कमी बताती है कि अगर हम सब मिलकर ठोस प्रयास करेंगे तो यह स्थिति और बेहतर होगी।

पूरा देश सुनेगा यूपी की महिला विधायकों की आवाज: सीएम

महिला विशेष सत्र के आयोजन पर सभी महिला सदस्यों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब आभारी हैं कि देश का सबसे बड़ा विधानमंडल एक नए इतिहास को बनाने के लिए अग्रसर हो रहा है। आधी आबादी की आवाज इस सदन के माध्यम से प्रदेश की 25 करोड़ जनता तक पहुंचेगी। इसके साथ ही साथ ही प्रदेश की समस्याओं और उपलब्धियों को लेकर और अन्य समसामायिक महत्वपूर्ण मुद्दों को इस सदन में रखने का उन्हें अवसर प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री ने सभी महिला विधायकों से अपील की है कि समस्याओं के बारे में खुलकर बोलें, अच्छे से चर्चा करें। उनके सुझाव नोट किए जाएंगे और सरकार उनको लेकर कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास सम्मान और स्वावलंबन के बारे में महिलाओं के क्या विचार हैं, यह जानना जरूरी है। सभी मुद्दों पर महिलाएं सकारात्मक सुझाव दें को सरकार को मदद मिलेगी और प्रदेश के लिए अच्छा काम हो सकेगा। उनके विचार संकलित करके संसद भवन स्थित पुस्तकालय और सभी राज्य विधानसभाओं को भेजे जाएंगे। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से अनुरोध किया कि आज सदन में महिलाओं को नियमों में न बांधा जाए. साथ ही उन्हें बोलने के लिए पूरा समय दिया जाए। समय का प्रतिबंध भी न लगे। वहीं, पुरुष विधायकों से कहा कि रोजाना तो उनके शोर के नीचे महिलाओं की आवाज दब जाती थी, लेकिन आज महिलाओं को बोलने दें और उन्हें ध्यान से सुनें।