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Uttarakhand: हिजाब विवाद के बीच यूनिफॉर्म सिविल कोड पर उत्तराखंड के सीएम धामी का बयान, कहा “सरकार बनते ही राज्य में”

उत्तराखंड में वोटिंग से पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में अपनी राय साफ कर दी है। उन्होंने कहा है कि यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता बनाने की दिशा में उनकी सरकार बनने पर काम शुरू होगा।

देहरादून। उत्तराखंड में वोटिंग से पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में अपनी राय साफ कर दी है। उन्होंने कहा है कि यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता बनाने की दिशा में उनकी सरकार बनने पर काम शुरू होगा। बता दें कि समान नागरिक संहिता बीजेपी के एजेंडे में पहले से रहा है और हिजाब विवाद शुरू होने के बाद इसे लागू करने की मांग ने जोर पकड़ा है। उत्तराखंड में 14 फरवरी को वोटिंग है। आज शाम प्रचार यहां खत्म हो जाएगा। उससे ठीक पहले धामी ने बड़ा सियासी दांव खेला है। धामी के अब इस एलान से कांग्रेस को खासी दिक्कत हो सकती है, क्योंकि प्रचार बंद होने के बाद वो इस मामले में अपना रुख साफ नहीं कर सकेगी।

धामी ने कहा कि उत्तराखंड में जल्द से जल्द समान नागरिक संहिता लागू करने से राज्य में सभी समुदायों के बीच समान अधिकारों को बढ़ावा मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे सामाजिक सद्भाव भी कायम होगा और लैंगिक न्याय को बल मिलेगा। उन्होंने इस कदम से महिला सशक्तिकरण होने की भी बात कही और साथ ही ये भी कहा कि असाधारण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान वाले उत्तराखंड में पर्यावरण की रक्षा करने में भी यूसीसी मददगार होगा। पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बीजेपी की सरकार बनने पर शपथ ग्रहण के तत्काल बाद समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए कमेटी बनेगी। कमेटी सभी लोगों से विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और विरासत के बारे में एक समान कानून बनाने के लिए बात करेगी।

उन्होंने कहा कि इस कानून का धर्म या आस्था से कोई मतलब नहीं होगा। धामी ने ये भी कहा कि हम जो घोषणा कर रहे हैं, वो हमारी पार्टी का संकल्प है। बीजेपी की सरकार बनते ही इसे पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि’ की संस्कृति और विरासत को अक्षुण्ण रखना हमारा परम कर्तव्य है। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। समान नागरिक संहिता उन लोगों के सपनों को साकार करने की दिशा में एक कदम होगा, जिन्होंने हमारे संविधान को बनाया और उसकी भावना को मजबूत किया। यह सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड प्रदान करने वाले अनुच्छेद 44 की दिशा में भी प्रभावशाली कदम होगा। उन्होंने बताया कि इस कमेटी में रिटायर्ड जजों, प्रबुद्ध लोगों और अन्य विशेषज्ञों को रखा जाएगा।