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Cold Wave Alert: 4 जनवरी से सक्रिय होगा पश्चिमी विक्षोभ, मौसम विभाग के मुताबिक इतनी ठंड होगी कि कांपेंगे इन इलाकों के लोग!

Cold Wave Alert: बीते दिनों आए पश्चिमी विक्षोभ के कारण पहाड़ी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जमकर बर्फबारी हुई। इसके अलावा दिल्ली समेत कई मैदानी राज्यों में ओलावृष्टि और बारिश का दौर देखने को मिला। जिससे कंपाने वाली सर्दी शुरू हुई है। अब मौसम विभाग के अनुसार 4 जनवरी से एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने जा रहा है। इससे और कड़ाके की ठंड होने वाली है।

नई दिल्ली। बीते दिनों आए पश्चिमी विक्षोभ के कारण पहाड़ी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जमकर बर्फबारी हुई। इसके अलावा दिल्ली समेत कई मैदानी राज्यों में ओलावृष्टि और बारिश का दौर देखने को मिला। जिससे कंपाने वाली सर्दी शुरू हुई है। अब मौसम विभाग के अनुसार 4 जनवरी से एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने जा रहा है। इससे पहाड़ी राज्यों और मैदानी इलाकों में बर्फबारी के साथ ही एक बार फिर बारिश होगी। मौसम विभाग के अनुसार इससे तापमान में 5 डिग्री तक गिरावट आ सकती है।

मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के असर के अलावा घना कोहरा भी ठंड बढ़ा रहा है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में घना कोहरा है। हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में भी कोहरे के कारण दृश्यता शून्य मीटर है। कई और जगह भी दृश्यता 40 से 100 मीटर के बीच बनी हुई है। जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर समेत तमाम जगह न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे है। सबसे कम तापमान गुलमर्ग में शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया है। वहीं, पहलगाम में तापमान शून्य से 9.2 डिग्री नीचे रहा। दिल्ली में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री के आसपास रहा। राजस्थान के सिरोही में न्यूनतम तापमान 5.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इस तरह सिरोही मैदानी इलाकों में सबसे ठंडी जगह रहा। उत्तर भारत में घना कोहरा होने के कारण धूप भी कई जगह नहीं निकली। इससे ठंड और शीतलहर का प्रकोप तेज हो गया है।

मौसम विभाग के मुताबिक हर साल की तरह 2025 के फरवरी महीने तक कई बार पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो सकते हैं। इसके अलावा ला नीना के प्रभाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान जमीन से कम है। इससे भी भारत में ठंड काफी तेज होने वाली है। मौसम विभाग पहले ही बता चुका है कि और साल के मुकाबले इस साल तेज ठंड होगी। 2024 में भी ठंड मार्च के अंतिम सप्ताह तक बनी हुई थी। ला नीना के प्रभाव के कारण इस साल मॉनसून के सीजन में काफी बारिश भी देखने को मिली थी। देश के ज्यादातर हिस्सों में औसत से ज्यादा बारिश हुई। वहीं, 101 साल में दिसंबर के महीने में दिल्ली में सबसे ज्यादा बारिश भी बीते दिनों दर्ज की गई थी।