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What Is Ken-Betwa Link Project In Hindi: आज से केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के काम की होगी शुरुआत, जानिए बुंदेलखंड की किस्मत कैसे पलटने जा रही मोदी सरकार

What Is Ken-Betwa Link Project In Hindi: बुंदेलखंड में नदियां होने के बावजूद पानी की बहुत किल्लत होती रही है। केन और बेतवा नदियों के जुड़ जाने के बाद यहां आम लोगों और किसानों को कभी पानी के लिए बारिश के भरोसे नहीं बैठा रहना पड़ेगा। जानिए केन और बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की खास बातें।

नई दिल्ली। भारत में आज एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के खजुराहो में अहम प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने वाले हैं। ये अहम प्रोजेक्ट केन और बेतवा नदियों को जोड़ने का है। केन और बेतवा नदियों को जोड़ने से मध्य प्रदेश और यूपी के 65 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा। साथ ही दोनों राज्यों के 7 लाख से ज्यादा किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलेगा। केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट से 103 मेगावाट बिजली भी पैदा होगी। साथ ही इलाके में 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का प्लांट भी लगेगा।

केन और बेतवा नदियों को जोड़ने के इस अहम प्रोजेक्ट में 44605 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। इस प्रोजेक्ट से मध्य प्रदेश और यूपी में फैले बुंदेलखंड इलाके में बहार आ जाएगी। यहां लगने वाले और पुराने उद्योगों को भी काम के लिए पानी की कमी की चिंता नहीं सताएगी। बता दें कि बुंदेलखंड में नदियां होने के बावजूद पानी की बहुत किल्लत होती रही है। केन और बेतवा नदियों के जुड़ जाने के बाद यहां आम लोगों और किसानों को कभी पानी के लिए बारिश के भरोसे नहीं बैठा रहना पड़ेगा। याद दिला दें कि साल 2016-17 में बुंदेलखंड में पानी की बहुत किल्लत हुई थी। उस वक्त ट्रेनों के जरिए बुंदेलखंड इलाके में केंद्र सरकार ने पानी भिजवाया था।

इससे पहले 16 सितंबर 2015 को कृष्णा और गोदावरी नदियों को जोड़ने का काम पूरा किया जा चुका है। नदियों को जोड़ने का आइडिया 1999 में केंद्र में एनडीए की सरकार बनाने के बाद पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था। इस दिशा में उन्होंने काम शुरू किया। फिर 2004 में केंद्र में यूपीए की सरकार आ गई। यूपीए सरकार के दौरान नदियों को जोड़ने का प्रोजेक्ट रुक गया। फिर साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वो समयबद्ध तरीके से नदियों को जोड़ने का काम आगे बढ़ाए। ताकि इस काम की लागत और न बढ़े। केंद्र में साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद फिर नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई।