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Supreme Court : जब अर्नब गोस्वामी को मिल गई थी राहत तो आखिर सिसोदिया को क्यों नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये जवाब

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अर्नब गोस्वामी का मामला बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के बाद शीर्ष अदालत में आया था। विनोद दुआ के मामले में तथ्य और परिस्थितियां बिल्कुल अलग थीं। कोविड-19 दौरान दुआ के मामले में अदालत ने हस्तक्षेप किया था चीफ जस्टिस ने कहा कि बेल के लिए आपके पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का विकल्प है।

नई दिल्ली। नगर निगम चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद अभी आम आदमी पार्टी ने खुशी भी नहीं मना पाई थी कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को लेकर केजरीवाल सरकार संकट में आ गई। आबकारी मामले को लेकर CBI के चंगुल में फंसे सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद थी। लेकिन अब मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए राहत की अर्जी लेकर सर्वोच्च अदालत में गए मनीष सिसोदिया की हर दलील को खारिज कर दिया गया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने सिसोदिया को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी। गिरफ्तारी के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट की ओर 5 दिन की सीबीआई रिमांड पर भेजे गए सिसोदिया की ओर से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर तत्काल सुनवाई की डिमांड रखी गई।

आपको बता दें कि मनीष सिसोदिया की ओर से पेश हुए वकील अभिषक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने दलीलें रखीं। जजों की ओर से सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर सवाल किया गया तो सिंघवी ने अनुच्छेद 32 का हवाला देते हुए वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का भी हवाला दिया। लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए इस दलील को खारिज कर दिया कि वह अभिव्यक्ति की आजादी का मसला था। यह केस प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट का है। वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने पीठ के समक्ष दलील देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले पत्रकार अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के मामले में दखलंदाजी की थी।

इस बारे में बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अर्नब गोस्वामी का मामला बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के बाद शीर्ष अदालत में आया था। विनोद दुआ के मामले में तथ्य और परिस्थितियां बिल्कुल अलग थीं। कोविड-19 दौरान दुआ के मामले में अदालत ने हस्तक्षेप किया था चीफ जस्टिस ने कहा कि बेल के लिए आपके पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का विकल्प है। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारों की अभिव्यक्ति की होती है, कुछ केस होते हैं जहां अधिकार कुछ अलग होते है।’ दरअसल, न्याय पाने के लिए भारत में निचली अदालत फिर उच्च न्यायालय और फिर अंत में सर्वोच्च न्यायालय जाने का प्रावधान है। हालांकि, संविधान का अनुच्छेद 32 किसी व्यक्ति को उस वक्त सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार देता है जब उन्हें महसूस हो कि उन्हें अनुचित रूप से अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। सिसोदिया इसी का हवाला देते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचे थे।