नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर भारतीय जनता पार्टी का संघर्ष दशकों पुराना रहा है। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राम मंदिर आंदोलन से शुरुआत से ही जुड़े रहे हैं। चाहे वह उसे वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हो या फिर आरएसएस के प्रचारक के रूप में या बीजेपी के महासचिव के रूप में कार्य करते रहे हो। 1990 में जब सरकार के इकोसिस्टम ने लोगों की आकांक्षाओं की उपेक्षा की तब भी पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा ने राममंदिर आंदोलन के लिए अटूट समर्थन दिखाया था, भले ही इसका मतलब सत्ता से हाथ धोना था।
राम रथ यात्रा के दौरान 23 अक्टूबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी को लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली जनता दल सरकार ने समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया। 26 अक्टूबर 1990 को, गुजरात में नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की जंजीरों में बंधी एक बड़ी तस्वीर प्रदर्शित करते हुए चिमनभाई पटेल सरकार के सहयोगी के रूप में इस्तीफा दे दिया। उस दिन, पीएम नरेंद्र मोदी ने अन्य लोगों के साथ, भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा के सामने शपथ ली। शपथ ये ली थी कि – ‘राम मंदिर बनेगा!’
In 1990, even as the ecosystem neglected the people’s aspirations, @narendramodi and the BJP showed unwavering support for the #RamMandir movement, even if it meant relinquishing power.
During the Ram Rath Yatra, on 23 October 1990, Shri LK Advani was arrested at Samastipur by… pic.twitter.com/tiMbaQRtuC
— Modi Archive (@modiarchive) January 21, 2024
आज 500 वर्षों के संघर्ष के बाद आखिरकार राम मंदिर बनकर तैयार है। भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति 22 जनवरी को विराजमान हो जाएगी। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की तमाम बड़ी हस्तियां और साधु संतों के साथ समारोह का हिस्सा बनेंगे। आपको बता दें कि पीएम मोदी पिछले 11 दिनों से एक अखंड व्रत का पालन कर रहे हैं जो कि शास्त्रीय पद्धति के अनुरूप है। उन्होंने रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले यह प्रण लिया था कि वह हर विधि-विधान का पालन करते हुए ही इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।