नई दिल्ली। पहले कभी बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीतिक घटनाओं को प्रमुखता दी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में सियासी मोर्चे पर ऐसा बहुत कुछ देखने को मिला है, जिसके बाद इसने बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को भी राजनीतिक ड्रामेबाजी के मामले में पीछे छोड़ दिया है। यकीन ना हो तो आज के घटनाक्रम को ही देख लीजिए कि कैसे किसी अप्रत्याशित कदम की भांति अजित पवार ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को गच्चा देकर अपने समर्थकों के साथ शिंदे सरकार से हाथ मिलाया। पहले से लिखित राजनीतिक पटकथा की भांति तो सुबह उन्होंने अपने आवास पर एनसीपी के 9 नेताओं की बैठक बुलाई। बैठक के बाद वो राजभवन पहुंचे।
जहां उन्होंने सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में डिप्टी सीएम की शपथ ली। इसके अलावा उनके समर्थकों ने मंत्री पद की शपथ ली। अजित पवार के इस कदम पर सीएम शिंदे ने कहा कि अब य़ह तीन इंजन वाली हो गई है। अब हम सभी मिलवकर प्रदेश के विकास के लिए काम करेंगे। इसके बाद जब उनसे सवाल किया गया कि आखिर अजित पवार के इस कदम की वजह आप क्या समझते हैं?, तो इस पर उन्होंने जब किसी प्रतिभाशाली व्यक्ति की प्रतिभा का निरादर होता है, तो वो इसी तरह का कदम उठाता है। शिंदे के बयान से जाहिर है कि उन्होंने शरद पवार को निशाने पर लिया है। हालांकि, शरद पवार ने मीडिया के सामने स्पष्ट कर दिया है कि उनके अजीत से कोई नाराजगी नहीं है। वो उनके भतीजे थे और हमेशा रहेंगे। वो उनके प्रिय थे और रहेंगे। इसके अलावा परिवार में भी कोई नाराजगी नहीं है।
ध्यान दें कि बीते दिनों शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था, जिसके बाद यह सवाल भी उठे थे कि क्या अजीत पवार अपने चाचा के इस कदम से नाराज हैं?, क्योंकि उन्हें कोई पद नहीं दिया गया था। हालांकि, बाद में अजीत ने मीडिया के सामने आकर स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें अपने चाचा से कोई नाराजगी नहीं है। इसके अलावा प्रफुल्ल पटेल ने भी कहा था कि अजीत पवार के पास पहले से ही कई जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए उन्हें कोई अतिरिक्त पद नहीं दिया गया है। वहीं, अजित पवार के बाद इस कदम के बाद बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्य़क्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि सभी परिवारवादी पार्टियों का यही हाल होगा। उन्होंने आगामी दिनों में जदयू में भी टूट की आशंका व्यक्त की है।
ध्यान दें कि इससे पहले एकनाथ शिंदे ने भी तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार खिलाफ एक ऐसा ही धमाकेदार कदम उठाया था, जब वो शिवसेना के 46 विधायकों के साथ गुजरात रवाना हो गए थे। हालांकि, उद्धव गुट की ओर उन्हें मनाने की खूब कोशिशें कीं गई थीं, लेकिन वो नहीं मानें। शिंदे को 46 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने की वजह से उद्धव ठाकरे सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इतना ही नहीं, उन्होंने खुद को बालासाहेब ठाकरे का शिष्य और असली शिवसैनिक बताया था। उन्होंने उद्धव ठाकरे को नकली शिवसैनिक की संज्ञा दी थी। बहरहाल, अब दोनों में से असली या नकली शिवसैनिक कौन है? इसका फैसला तो आगामी दिनों में कोर्ट ही करेगी,
तो इस तरह से पिछले दो सालों में महाराष्ट्र में दो बड़े सियासी ड्रामे देखने को मिले हैं, जिसने प्रदेश की राजनीतिक दिशा व दशा बदल कर रख दी है। वहीं, शिवसेना जैसी स्थिति अब एनसीपी में भी देखने को मिल रही है। उधर, संजय राउत ने यह कहकर सियासी भूचाल मचा दिया है कि आगामी दिनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजित पवार के साथ गए विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।