रांची। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के साथ ही कांग्रेस नई आशंका से ग्रस्त हो गई है। उसे अब झारखंड में बीजेपी के ‘ऑपरेशन लोटस’ का अंदेशा है। कांग्रेस नेतृत्व का फैसला टालकर राज्य में उसके विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में जिस तरह क्रॉस वोटिंग की, उससे कांग्रेस के नेताओं की नींद उड़ी हुई है। ऊपर से सीएम और सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन के तेवर भी उसे परेशान किए हुए हैं। झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस सत्ता में सहभागी हैं। पहले बात करते हैं राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस खेमे में क्रॉस वोटिंग और उसके आंकड़ों की।
झारखंड विधानसभा में कुल 81 विधायक हैं। इनमें जेएमएम के 30 सदस्य हैं। बीजेपी के पास 26 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के 18 मेंबर हैं। राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के एक विधायक ने बीमार होने की वजह से वोट नहीं दिया। एक विधायक का वोट सही नहीं रहा और इनवैलिड हो गया। इसके बावजूद द्रौपदी मुर्मू को 70 वोट मिल गए। वहीं, यशवंत सिन्हा को सिर्फ 9 वोट मिले। जेएमएम ने मुर्मू के समर्थन का एलान पहले ही कर दिया था। यानी कांग्रेस के 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी। कांग्रेस के सूत्र इसे गंभीर चिंता की बात मानते हैं। खास बात ये भी है कि कांग्रेस के 7 विधायक आदिवासी बहुल इलाकों से चुनकर आए हैं।
अब अगर बात जेएमएम की करें, तो सीएम हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को ठेंगा दिखा दिया था। सोरेन ने राज्य की एक सीट कांग्रेस को नहीं दी थी और अपनी पार्टी का उम्मीदवार मैदान में उतार दिया था। बाकायदा सोरेन ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ये कदम उठाया। ऐसे में अब राष्ट्रपति चुनाव में खुद के पाले से विधायकों के खिसक जाने से कांग्रेस की शंका और ज्यादा बढ़ गई है। हालांकि, कांग्रेस के नेता इस बारे में कोई बयान नहीं दे रहे हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक सियासत का गुणा-गणित पार्टी देख जरूर रही है।