
नई दिल्ली। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के मसले पर एक तरफ कानूनी जंग चल रही है। वहीं, मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे को रोकने की मांग कर रहा है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत ये सर्वे तो क्या हिंदू पक्ष केस ही नहीं चला सकता। वहीं, वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत मुस्लिम पक्ष के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट संबंधी दावे को पहले ही नकार दिया और अब एएसआई से वजूखाना छोड़कर पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे करने को कहा है।

सर्वे के तहत पश्चिम की दीवार, तीनों गुंबदों के नीचे के अलावा अन्य जगह जैसे तहखाने और खंबों की जांच के आदेश जिला जज ने एएसआई को दिए हैं। मुस्लिम पक्ष ने एएसआई का सर्वे शुरू होते ही इसका बहिष्कार करने का एलान किया। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि सर्वे संबंधी कोई नोटिस उनको नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष का कहना था कि उनको इलाहाबाद हाईकोर्ट में सर्वे के आदेश को चुनौती देने का वक्त तक नहीं मिला। नोटिस ने मिलने का मुस्लिम पक्ष जो आरोप लगा रहा है, उसमें गौर करने वाली बात ये है कि जब शनिवार को एएसआई की टीम वाराणसी पहुंची, तो कमिश्नर और डीएम ने सभी पक्षों को मीटिंग के लिए बुलाया, लेकिन मुस्लिम पक्ष का कोई भी मीटिंग में नहीं गया। वहीं, पहले कोर्ट कमिश्नर के सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई थी। अब एएसआई के वैज्ञानिक तरीके से सर्वे पर मुस्लिम पक्ष रोक चाहता है।

मुस्लिम पक्ष वाराणसी में कुछ कह रहा है और सुप्रीम कोर्ट में कुछ और दलील देता दिख रहा है। इसकी वजह क्या है, क्यों मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी का वैज्ञानिक सर्वे करवाकर हकीकत सामने नहीं आने देना चाहता?, ये तो वो ही बता सकता है। बहरहाल जब वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन ने कोर्ट कमिश्नर से ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराया था, तो उसमें वजूखाने में शिवलिंग जैसी आकृति, गुंबद के नीचे शंकु के आकार के पुराने गुंबद और दीवारों और खंबों पर कलाकारी और त्रिशूल जैसी आकृतियां देखने को मिली थीं। मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पीछे जो प्राचीन दीवार है, वो देखने से ही मंदिर का हिस्सा जैसी लगती है। एएसआई ने इस दीवार का भी सर्वे किया है। अगर सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद से एएसआई के सर्वे पर रोक लगी, तो मुस्लिम पक्ष को राहत मिलेगी, लेकिन अगर सर्वे पर रोक न लगाई गई, तो उम्मीद यही है कि ज्ञानवापी मस्जिद का साल 1669 से चला आ रहा मसला 353 साल बाद सुलझ सकता है।