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IIT खड़गपुर के नए साल के कैलेंडर पर विवाद क्यों? ‘आर्यों के सत्य’ से क्यों परेशान है मैकाले की टोली?

IIT Kharagpur: इस कैलेंडर को IIT के सेंटर आफ एक्सीलेंस फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम्स के प्रमुख प्रोफेसर जय सेन ने तैयार किया है। कैलेंडर विवाद पर उनका कहना है कि इस कैलेंडर का उद्देश्य सच्चाई को सामने लाना है। 12 पन्नों के इस कैलेंडर में सारी बातें सबूत और तथ्य के साथ रखी गई हैं।

नई दिल्ली। क्या देश में इतिहास का सच बताने पर, उसे हिंदुत्व का एजेंडा बताना, ट्रेंड बन गया है ? ये सवाल, हम आपसे इसलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि IIT खड़गपुर के नए साल के कैलेंडर पर, विवाद शुरु हो गया है। इस कैलेंडर के जरिए, हिंदुत्व के एजेंडे को लागू करने आरोप लगाया जा रहा है। आरोप ये है कि हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार के लिए, आर्यों के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। अब आपके मन में भी ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर, इस कैलेंडर में ऐसा क्या है, जिससे देश में हिंदुत्व का एजेंडा का लागू हो जाएगा?

IIT खड़गपुर के कैलेंडर विवाद को समझने से पहले, हम आपसे एक सवाल पूछना चाहते हैं। हमारा आपसे सवाल ये है कि, कहीं आपने भी, इतिहास में आर्यों के आक्रमण की झूठी कहानियां तो नहीं पढ़ी हैं? कहीं आपने भी तो ये झूठ नहीं पढ़ा है कि आर्यों ने भारत पर हमला किया था ?हम ये सवाल आपसे इसलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि इस कैलेंडर का सारा विवाद, आर्य आक्रमण सिद्धांत से जुड़ा है। दरअसल, इस कैलेंडर ने भारत में बरसों से बेची जा रही, आर्य आक्रमण थ्योरी को धवस्त करने का काम किया है। 2022 के इस कैलेंडर में 12 तथ्यों आधार पर आर्य हमले के सिद्धान्त को गलत साबित किया गया है।

IIT Kharagpur

जैसा की आपको मालूम होगा, भारत में लंबे समय से, आर्यों को लेकर मनगढ़ंत और काल्पनिक किस्से प्रचारित किए गए हैं। अंग्रेजी इतिहासकारों ने ‘आर्य आक्रमण’ का झूठा सिद्धांत गढ़कर, ये साबित करने की साजिश रची की, आर्य भारत के मूल निवासी नहीं, बल्कि बाहर से आए आक्रमणकारी थे।लेकिन सवाल उठता है कि, आखिर अंग्रेजी इतिहासकार ने आर्यों को आक्रमणकारी के तौर पर पेश क्यों किया? इसकी दो बड़ी वजह हैं, पहली तो ये कि, ऐसा करके अंग्रेजी इतिहासकार, अपने हमलावर होने का दाग छुपाना चाहते थे। ये सच्चाई सभी को मालूम है कि भारत पर आर्यों नहीं, बल्कि अंग्रेजों ने हमला किया था।
इसकी दूसरी वजह ये है कि अंग्रेजी और वामपंथी इतिहासकारों ने, आर्य आक्रमण सिद्धांत का झूठा चक्रव्यूह रचकर, आर्यों की महानता को धूमिल करने का काम किया है।

अब IIT Kharagpur के कैलेंडर में ‘आर्य हमलावर थ्योरी’ पर ही सवाल उठाए गए हैं। कैलेंडर को तैयार करने वाले ‘सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम’ का दावा है कि इसमें आर्यों के हमले को लेकर गढ़े गए मिथक को तोड़ने का प्रयास किया गया है।

IIT Kharabpur
ये चर्चित कैलेंडर IIT के वार्षिक दीक्षांत समारोह में जारी किया गया था। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे। ‘रिकवरी ऑफ द फाउंडेशन ऑफ इंडियन नॉलेज सिस्टम’ शीर्षक वाले इस कैलेंडर में भारत की पारंपरिक अध्ययन प्रणाली के इतिहास को तथ्यों के साथ पेश किया गया है। इसमें भारत के वेद-पुराण और महापुरुषों की बातों के जरिए भारतीय ज्ञान की गौरवशाली परंपरा को सामने लाने का प्रयास किया है। कैलेंडर में विष्णु पुराण का उल्लेख करते हुए सप्त ऋषि को प्रदर्शित किया गया है। उन्हें भारतीय ज्ञान के अग्रदूत के रूप में बताया गया है। कैलेंडर में स्वामी विवेकानंद की आर्यों पर चर्चित टिप्पणी को भी शामिल किया गया है। आर्यों पर टिप्पणी करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि ‘आप किस वेद और सूक्त में पाते हैं कि आर्य किसी दूसरे देश से भारत में आए थे ?

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इस कैलेंडर को IIT के सेंटर आफ एक्सीलेंस फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम्स के प्रमुख प्रोफेसर जय सेन ने तैयार किया है। कैलेंडर विवाद पर उनका कहना है कि इस कैलेंडर का उद्देश्य सच्चाई को सामने लाना है। 12 पन्नों के इस कैलेंडर में सारी बातें सबूत और तथ्य के साथ रखी गई हैं। अब ये बात समझ से परे है कि, आखिर इस कैलेंडर को लेकर कुछ लोग नाराज क्यों है? आर्यों की महानता का सच कुछ लोगों के गले क्यों नहीं उतरता है? आखिर ये लोग, आने वाली पीढ़ियों को भारत का सही इतिहास जानने का अवसर क्यों नहीं देना चाहते हैं ? कहीं मैकाले की ये टोली, अंग्रेजी इतिहासकारों के झूठ के परखच्चे उड़ने से तो परेशान नहीं है?