नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में जल्द ही चुनाव होने हैं ऐसे में विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बनाने में व्यस्थ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बेदखल करने का संकल्प लेकर एकजुट होने तक को तैयार विपक्ष अब हर उन मुद्दों को भुनाकर भाजपा पर हमला कर रहा है जिससे उसे कुर्सी लपकने में आसानी हो। लेकिन विपक्ष के लिए सत्ता धारी भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाना इतना आसान नहीं होगा। ये बात इसलिए क्योंकि विपक्ष अब तक पीएम के खिलाफ मुख्य चेहरा कौन होगा इसपर ही फैसला नहीं ले पाया है। एक और जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को पीएम के खिलाफ चेहरे की लिस्ट में सबसे आगे माना जा रहा है तो वहीं कई दल ऐसे है जो ममता को पीएम के खिलाफ चेहरा बनाने के पक्ष में नहीं है।
विपक्ष के सामने ममता को मुख्य चेहरा बनाने के पीछे कई अड़चने हैं जिनमें कई क्षेत्रीय तो कई राष्ट्रीय स्तर पर है। उदाहरण के तौर पर क्षेत्रीय स्तर पर कई दलों के सामने एक साथ आने की समस्या है जिनमें उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा है। दूसरी ओर वाममंथियों का पश्चिम बंगाल में ममता के पीछे खड़े न होना भी एक कारण है। क्योंकि दक्षिण के दलों की अपनी अलग राजनीति है। कर्नाटक को छोड़े तो अधिकतर दक्षिणी राज्यों में भाजपा कोई खास महत्व नहीं रखती ऐसे में दक्षिण की क्षेत्रीय पार्टियों की अलग प्राथमिकताएं हैं।
बात कांग्रेस की करें तो पार्टी की ओर से भी ममता को विपक्ष का चेरहा माने जाने की संभावना न के बराबर है। शायद यही कारण है कि ममता खुद भी अभी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। ममता खुद भी अपने आप को विपक्ष का चेहरा साफ तौर पर पेश नहीं कर रही है। वो इसपर अधिक जोर दे रही है कि भाजपा को अगर चुनाव में मात देनी है तो विपक्ष को आगे आकर हाथ मिलाना होगा लेकिन अब देखना ये होगा कि क्या विपक्ष अपने इस मिशन में कामयाब होती है या नहीं