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Will Opposition Win In Rajya Sabha: अरविंद केजरीवाल कहीं विपक्ष की फजीहत तो नहीं करा देंगे! जानिए क्या है वजह

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आजकल देशभर का दौरा कर रहे हैं। वो केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को दिए गए ट्रांसफर-पोस्टिंग के हक संबंधी अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं। संसद के मॉनसून सत्र में इस अध्यादेश की जगह मोदी सरकार बिल लाने वाली है।

नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आजकल देशभर का दौरा कर रहे हैं। वो केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को दिए गए ट्रांसफर-पोस्टिंग के हक संबंधी अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं। संसद के मॉनसून सत्र में इस अध्यादेश की जगह मोदी सरकार बिल लाने वाली है। ऐसे में केजरीवाल सभी विपक्षी दलों को एक करने की कवायद में जुटे हैं। ताकि राज्यसभा में केंद्र के बिल को पटकनी दी जा सके। केजरीवाल का कहना है कि अगर राज्यसभा में मोदी सरकार बिल पास नहीं करा पाती, तो ये 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल की तरह होगा और इससे विपक्ष एकजुट दिखेगा। अरविंद केजरीवाल को अब तक 10 दलों का समर्थन मिल चुका है। इनमें ममता बनर्जी की टीएमसी, उद्धव ठाकरे का शिवसेना गुट, हेमंत सोरेन की जेएमएम, स्टालिन की डीएमके, अखिलेश यादव की सपा, के. चंद्रशेखर राव की बीआरएस, लालू यादव की आरजेडी, नीतीश कुमार की जेडीयू, शरद पवार की एनसीपी हैं।

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केजरीवाल क्या मोदी सरकार के बिल के खिलाफ राज्यसभा में विपक्ष को एकजुट कर ले जाएंगे? इस सवाल का जवाब राज्यसभा में दलों के सदस्यों की संख्या पर निर्भर है। अभी राज्यसभा में बीजेपी के 93, कांग्रेस के 31, ममता की टीएमसी के 12, आम आदमी पार्टी के 10, डीएमके के 10, बीजेडी के 9, वाईएसआरसीपी के 9, बीआरएस के 7, आरजेडी के 6, सीपीएम के 5, जेडीयू के 5, एआईएडीएमके के 4, एनसीपी के 4, सपा के 3, अन्य व निर्दलीय 3, शिवसेना के 3, सीपीआई के 2, जेएमएम के 2, एजीपी का 1, बीएसपी का 1, मुस्लिम लीग का 1, जेडीएस का 1, केरल कांग्रेस मणि का 1, एमडीएमके का 1, एमएनएफ का 1, एनपीपी का 1, पीएमके का 1, राष्ट्रीय लोकदल का 1, रिपब्लिकन पार्टी का 1, एसडीएफ का 1, तमिल मानिला कांग्रेस मूपनार का 1, टीडीपी का 1 और यूपीपी का 1 सांसद है। इसके अलावा 5 नामित सदस्य भी हैं।

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विपक्षी दलों में शुमार नवीन पटनायक (बाएं) और जगनमोहन रेड्डी (दाएं) ने राज्यसभा में तीन तलाक और अनुच्छेद 370 रद्द करने जैसे कई बिल पास कराने में मोदी सरकार की मदद की है।

केजरीवाल को अभी राज्यसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस का समर्थन नहीं मिला है। अगर संख्याबल की बात करें, तो केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने बीजेडी और वाईएसआरसीपी के अलावा कुछ और दलों का साथ लेकर तीन तलाक और अनुच्छेद 370 रद्द करने संबंधी बिल राज्यसभा में पास कराए हैं। अगर ये दल एक बार फिर बीजेपी का साथ देते हैं, तो केजरीवाल का सपना चकनाचूर हो सकता है। साथ ही राज्यसभा में अगर विपक्षी गठबंधन पराजित हुआ, तो लोकसभा चुनाव से पहले उसके लिए ये बड़ा झटका भी होगा।