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UP Election: ब्राह्मणों को लुभाने में नाकाम रहे सतीश चंद्र मिश्रा? मायावती ने आखिर क्यों संभाली कमान

UP Election: बता दें कि साल 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के तहत ब्राह्मणों को जुटाकर और उन्हें टिकट देकर मायावती ने सरकार बना ली थी। तब उन्होंने “ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी चलता जाएगा” का नारा दिया था।

लखनऊ। यूपी में विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी-मार्च में होंगे। इससे पहले बीएसपी की ओर से साल 2007 का वोटर विनिंग फॉर्मूला फिर से लागू करने की कवायद शुरू की गई। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने महासचिव और सांसद सतीश चंद्र मिश्रा को ब्राह्मणों को लुभाने के लिए मैदान में उतारा। सतीश चंद्र मिश्रा ने 74 जिलों में प्रबुद्ध सम्मेलन कर ब्राह्मणों पर योगीराज में अत्याचार का खूब प्रचार किया। फिर भी ऐसा नहीं लग रहा कि ब्राह्मणों का 13 फीसदी वोट बीएसपी को मिल जाएगा। हालात अपने पक्ष में न देखकर सतीश चंद्र मिश्रा ने अपनी पत्नी और बेटे के जरिए भी ब्राह्मणों से गुहार लगवाई। फिर भी बीएसपी सुप्रीमो मायावती को शायद लग रहा है कि सतीश चंद्र मिश्रा इसमें नाकाम रहे हैं। शायद यही वजह है कि मायावती ने खुद प्रबुद्ध सम्मेलन में ब्राह्मणों को लुभाने की कमान संभाल ली है।

Mayawati

लखनऊ में ब्राह्मणों को जुटाकर मायावती अब 2007 का अपना दांव चलने की कोशिश में हैं। लंबे समय बाद वह सार्वजनिक तौर पर दिखने जा रही हैं। इसमें ब्राह्मण तो आएंगे, लेकिन अभी ये नहीं लग रहा कि बीएसपी के पक्ष में उनका समर्थन दिखने जा रहा है। बता दें कि साल 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के तहत ब्राह्मणों को जुटाकर और उन्हें टिकट देकर मायावती ने सरकार बना ली थी। तब उन्होंने “ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी चलता जाएगा” का नारा दिया था।

BSP Chief Mayawati

उधर, सपा भी ब्राह्मणों को लुभाने के लिए एलान कर चुकी है कि यूपी में अगर उसकी सरकार बनी, तो सभी 75 जिलों में भगवान परशुराम की मूर्तियां लगवाएगी। बता दें कि साल 2017 में ब्राह्मणों ने बीजेपी के पक्ष में वोट दिया था। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यूपी से ब्राह्मणों का वोट बीजेपी को गया था। अब देखना ये है कि मायावती किस तरह ब्राह्मणों को अपनी पार्टी से जोड़ने का काम करती हैं।