नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज जब लोकसभा में अपना लगातार 8वां बजट 2025 पेश करेंगी, तो उनके सामने बड़ी चुनौती उस महंगाई को थामने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का एलान होगा, जिसने काफी समय से गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए मुश्किल खड़ी कर रखी है। महंगाई ने सिर्फ गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए ही मुश्किल नहीं बढ़ाई, विपक्ष को मोदी सरकार पर लगातार हमले करने का मौका भी दिया है। हालांकि, अभी ये आंकड़े नहीं आए हैं कि जनवरी 2025 में महंगाई दर कितनी रही, लेकिन दिसंबर 2024 में महंगाई की दर मोदी सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से तय की गई दर 4 फीसदी से ज्यादा रही थी। इसी वजह से रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक के बाद रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फिर फैसला किया था।
दिसंबर 2024 के आंकड़े देखें, तो खुदरा महंगाई दर 4 महीने में सबसे निचले स्तर 5.22 फीसदी पर रही थी। सांख्यिकी विभाग की तरफ से बताया गया था कि सब्जियों, दालों और चीनी की कीमत में गिरावट के कारण महंगाई दर कम हुई है। वहीं, बीते साल की बात करें, तो नवंबर में खुदरा महंगाई की दर 5.48 फीसदी थी। वहीं, अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 6.21 फीसदी पर जा पहुंची थी। ये दर 14 महीने में उच्चतम रही थी। दिसंबर में सबसे अधिक महंगे सामान में आलू, मटर, लहसुन, फूलगोभी, नारियल तेल थे। वहीं, कम महंगे सामान में जीरा, सूखी मिर्च, अदरक और एलपीजी रहे। महंगाई की दर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के शुरू होने के बाद से ही तेज होती रही है। सिर्फ खुदरा ही नहीं, थोक महंगाई की दर ने भी काफी उछाल लिया था और ये 2 फीसदी से ज्यादा हो गई थी।
महंगाई दर बढ़ने का खामियाजा मध्यम और नौकरीपेशा वर्ग को दो तरह से भुगतना होता है। एक तो घर में इस्तेमाल होने वाली चीजें महंगी होती हैं। वहीं, रेपो रेट में कटौती न होने से लोन पर ईएमआई की दर में भी कमी नहीं होती। ऐसे में उनकी जेब से ज्यादा रकम निकलती जाती है और बचत में गिरावट आती है। हाथ में रकम कम होने से खर्च पर भी ब्रेक लगता है और इस वजह से देश की अर्थव्यवस्था को भी दबाव का सामना करना होता है। ऐसे में सबकी नजर इस पर है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किन उपायों को अपनाकर महंगाई को 4 फीसदी के दायरे में लाती हैं और मध्यम और नौकरीपेशा वर्ग के लिए खर्च के साथ बचत के रास्ते भी खोलती हैं।