
नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह पर कल सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ फैसला कर सकती है। बता दें कि बीते दिनों समलैगिंक विवाह के संदर्भ में कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें इसे वैध ठहराने की मांग की गई थी। वहीं, अब इस पर कल फैसला आना है, तो ये देखना होगा कि कोर्ट का इस पूरे मसले पर क्या रुख रहता है। बता दें कि 2018 में कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाले आईपीसी की धारा 377 को रद कर दिया था।
#BREAKING SAME SEX MARRIAGE JUDGMENT TOMORROW
5-Judge Constitution Bench of #SupremeCourt to hand down the historic judgment regarding validity of same sex marriage TOMORROW#SameSexMarriage #LGBTQIA #gayrights #marriageequality pic.twitter.com/J68OwnSO7J
— Bar & Bench (@barandbench) October 16, 2023
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की अध्य़क्षता वाली पीठ ने 10 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद गत 10 मई को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का फैसला भारतीय संदर्भ में गलत था कि गर्भपात का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है।
उधर, किसी भी परिवार के बच्चा गोद लेने पर उसकी वैवाहिक स्थिति प्रभावित नहीं होती है। यह विधायिका पर निर्भर है कि समलैंगिक संबंधों को मान्यता दे या ना दे। मगर, सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे जोड़ों को विवाह के लेबल के बिना सामाजिक और अन्य लाभ और कानूनी अधिकार दिए जाएं। इस बीच कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि युवाओं की भावनाओं के आधार पर यकायक किसी भी प्रकार का फैसला नहीं लिया जा सकता है।
क्या है केंद्र सरकार का रुख
उधर, केंद्र सरकार का इस पूरे मसले पर रुख की बात करें, तो सरकार ने कोर्ट में इस पूरे मसले का विरोध किया है। सरकार ने कहा कि यह हमारी सामाजिक संस्कृति और नैतिक परंपरा के खिलाफ है। केंद्र ने कहा था कि इसे मान्यता देने से पहले देने से पहले 28 कानूनों के 158 प्रावधानों में बदलाव करते हुए पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी। इस मामले में केंद्र ने दलील देते हुए कहा था कि सेम सेक्स संभ्रांत वर्ग के लोगों के जीवन का हिस्सा है, लेकिन यह हमारे देश की संस्कृति से कोसो दूर है। केंद्र ने कहा था कि विवाह एक परंपरा है, एक संस्थान है, जिसे मान्यता दी जाती है। यह एक पवित्र बंधन है। यह दो परिवारों का मिलन है। केंद्र ने इस बात पर जोर दिया था कि सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने की राह आसान नहीं होगी। गत दिनों सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि समलैंगिक विवाह को अब तक यूके, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, स्पेन, नॉर्वे, नीदरलैंड, फिनलैंड, डेनमार्क, क्यूबा और बेल्जियम में मान्यता दी जा चुकी है। केंद्र ने कहा था कि अब तक 16 देश समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है।