
गुवाहाटी। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के लिए आने वाले दिन बड़ी मुश्किल का सबब बन सकते हैं। गुवाहाटी के पान बाजार थाने में राहुल गांधी के खिलाफ जो केस दर्ज हुआ है, उसमें राहुल गांधी सिर्फ गिरफ्तार ही नहीं हो सकते, बल्कि जेल भी जा सकते हैं! दरअसल, राहुल गांधी के खिलाफ जो एफआईआर मोनजीत चेतिया ने दर्ज कराई है, वो गैर जमानती और गंभीर धाराओं में है। राहुल गांधी ने दिल्ली के कोटला रोड स्थित कांग्रेस के नए मुख्यालय भवन के उद्घाटन पर कहा था कि बीजेपी और आरएसएस ने हर एक संस्थान पर कब्जा कर लिया है। राहुल गांधी ने आगे कहा था कि अब हम बीजेपी, आरएसएस और इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं। इसी बयान ने राहुल गांधी के लिए मुश्किल खड़ी की है।
राहुल गांधी के इंडियन स्टेट से लड़ने वाले बयान पर मोनजीत चेतिया ने बीएनएस की धारा 152 और 197(1)डी के तहत केस दर्ज कराया है। ये दोनों ही धाराएं संज्ञेय और गैर जमानती हैं। इन धाराओं में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने के काम के तहत केस दर्ज होता है। गुवाहाटी पुलिस जब कोर्ट में एफआईआर पेश करेगी, तो राहुल गांधी को वहां पेश होना होगा और फिर कोर्ट ही ये फैसला लेगी कि इस तरह का बयान देने पर क्या राहुल गांधी को जमानत देते हुए आगे सुनवाई की जाए या फिर उनको जेल भेजा जाए। दरअसल, एफआईआर में कहा गया है कि राहुल गांधी ने अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा को पार करते हुए सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा किया। एफआईआर में आगे कहा गया है कि भारतीय राज्य के खिलाफ लड़ाई घोषित कर राहुल गांधी ने जानबूझकर जनता के बीच विध्वंसकारी गतिविधियों और विद्रोह को भड़काने की कोशिश की।
राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज एफआईआर में ये भी कहा गया है कि ये राज्य के अधिकार को न मानने की कोशिश है। इससे खतरनाक नैरेटिव तैयार हो सकता है। एफआईआर में आगे लिखा गया है कि राहुल गांधी का बयान अशांति और अलगाववादी भावनाओं को भड़का सकता है। मोनजीत चेतिया का आरोप है कि विपक्ष के नेता होने के नाते राहुल गांधी की जिम्मेदारी लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का भरोसा बनाए रखना है, लेकिन उन्होंने झूठ फैलाने और विद्रोह भड़काने के लिए मंच का दुरुपयोग किया। बता दें कि राहुल गांधी पहले ही सावरकर और मोदी सरनेम मामले में मानहानि मुकदमों का सामना कर रहे हैं। मोदी सरनेम वाले मामले में गुजरात की निचली अदालत और हाईकोर्ट ने उनको सजा भी सुनाई थी। जिससे राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म हुई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट में अपील किए जाने पर सजा पर स्टे लगा था। राहुल गांधी राफेल मामले में गलतबयानी के कारण सुप्रीम कोर्ट में भी एक बार माफी मांग चुके हैं।