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Kashi Vishwanath Corridor: बाबा के दर्शन के साथ उनकी महिमा भी जान पाएंगे श्रद्धालु, मंदिर परिसर के गलियारे में लगाए गए हैं 25 चित्रात्मक पैनल

दुनिया के प्राचीनतम और जीवंत शहर काशी देश की सांस्कृतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक राजधानी मानी जाती है। इसके पुख़्ता प्रमाण हैं, जो उपनिषद, वेदों और पुराणों में मिलते हैं। इन प्रमाणों के साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम में शिव महिमा का सचित्र वर्णन मार्बल पर उकेरा गया है।

नई दिल्ली: श्री काशी विश्वनाथ धाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आध्यात्मिक व धार्मिक रूप से और समृद्ध बना दिया है। अब धाम के मंदिर परिसर में आने पर श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन के साथ उनकी महिमा भी जान पाएंगे। धर्म शास्त्रों व पौराणिक ग्रंथों में वर्णित पवित्र स्थल काशी में मौजूद हैं। उपनिषद, वेदों और पुराणों के आधार पर मिली जानकारी का चित्रात्मक वर्णन, श्लोक संख्या, हिंदी में अनुवाद समेत समस्त जानकारियां विश्वनाथ धाम में मार्बल पर उकेरी गई हैं।

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दुनिया के प्राचीनतम और जीवंत शहर काशी देश की सांस्कृतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक राजधानी मानी जाती है। इसके पुख़्ता प्रमाण हैं, जो उपनिषद, वेदों और पुराणों में मिलते हैं। इन प्रमाणों के साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम में शिव महिमा का सचित्र वर्णन मार्बल पर उकेरा गया है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफ़ेसर रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि बाबा के प्रांगण में आने वाले भक़्त प्रामाणिक तरीक़े से भगवान शंकर के महिमा के बारे में जान सकेंगे। इसके लिए पिक्टोरियल पैनल लग गए हैं। धर्म शास्त्रों व पौराणिक ग्रंथों में वर्णित सभी पवित्र स्थल काशी में भी मौज़ूद हैं। इसका प्रमाण के साथ उल्लेख किया गया है। भगवान शंकर को काशी क्यों प्रिय है और काशी को लघु भारत क्यों कहा जाता है, ये सभी जानकारियां इस मार्बल के चित्रात्मक पैनल पर उपलब्ध हैं।

Kashi vishwnath

काशी विद्वत परिषद ने इस जानकारी को सम्पादित किया है। ऐसे करीब 25 चित्रात्मक पैनल मंदिर परिसर के गलियारे में लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि काशी में ही वेद व्यास द्वारा चारों वेदों का प्रथम उपदेश, काशी में 56 विनायक, काशी में मोक्ष प्रदान करने वाली सातों नगरी, काशी में पांच तीर्थ, भगवान शिव के आदेश पर आए अष्ट भैरव की स्थापना, भगवान शंकर का 64 योगिनियों का काशी में भेजना, काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के त्रिशूल पर टिकी काशी, भोलेनाथ द्वारा अष्ट मातृकाओं की स्थापना और महाकवि कालिदास द्वारा शिव स्तुति आदि का वर्णन किया गया है। ये सभी जानकारियां चित्र, संस्कृत के श्लोक, हिंदी में अनुवाद के साथ उकेरी गई हैं। इसके अलावा किस ग्रन्थ, उपनिषद, वेदों और पुराणों में इसका उल्लेख है, श्लोक संख्या समेत वर्णित किया गया है।