Smart Watch Tracker: दो छात्रों ने बनाया जवानों के लिए ये स्मार्ट वॉच ट्रैकर,जानिए कैसे ये घड़ी करेगी काम

Smart Watch Tracker: छात्र दक्ष अग्रवाल ने कहा कि मणिपुर में हुई लैंडस्लाइड के मामले ने उन्हें झकझोर दिया था। इस घटना के बाद उन्होंने एक विशेष तरह की स्मार्टवॉच का आविष्कार किया जो कि सेना के जवानों के बहुत काम आ सकती है।

Avatar Written by: July 24, 2022 2:37 pm

नई दिल्ली। अगर हम आज अपने अपने घरों में सुरक्षित सो पा रहे है तो सिर्फ और सिर्फ सरहद पर खड़े उन जवानों की वजह से जो सीमा पर हमारी सुरक्षा के लिए तैनात है। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात आर्मी के जवानों को मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ता है। इसमें प्राकृतिक आपदा का सामना सबसे कठिन है, जिसमें प्रत्येक साल कई जवान अपनी जान गंवा देते हैं। हाल ही में पूर्वोत्तर के मणिपुर और पहाड़ी इलाकों में हुए लैंडस्लाइड के कारण कई जवानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इसे देखते हुए दो छात्रों ने एक ऐसा स्मार्टवॉच ट्रैकर बनाया है जिससे जवानों की लोकेशन के बारे में पता लगाया जा सकेगा। यह स्मार्टवॉच ट्रैकर इन जवानों को ढूंढने और राहत देने में हेल्प करेगा बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के क्लास 8 में पढ़ने वाले दो स्टूडेंट्स दक्ष अग्रवाल और सूरज ने साथ में एक खास ‘स्मार्ट सोल्जर ट्र्रैकर वॉच’ बनाई है। छात्र दक्ष अग्रवाल ने कहा कि मणिपुर में हुई लैंडस्लाइड के मामले ने उन्हें झकझोर दिया था। इस घटना के बाद उन्होंने एक विशेष तरह की स्मार्टवॉच का आविष्कार किया जो कि सेना के जवानों के बहुत काम आ सकती है।

इस तरह काम करेगा स्मार्टवॉच ट्रैकर

उन्होंने बताया कि स्मार्ट सोल्जर ट्रैकिंग वॉच लैंडस्लाइड होने पर मलबे में दबे जवानों को ढूंढ़ने और रेस्क्यू टीम के रूप में काम करेगा। इस ट्रैकिंग वॉच को दो पार्ट में बांटा गया हैं- पहला ट्रांसमीटर सेंसर है जो जवानों की घड़ी में लगा होगा। वहीं, दूसरा रिसीवर अलार्म सिस्टम है जो स्मार्टवॉच के ट्रांसमीटर सेंसर के साथ जुड़ा होगा। रिसिवर अलार्म सिस्टम आर्मी के कंट्रोल रूम में होगा। अभी इसकी रेंज करीब 50 मीटर होगी।

स्मार्टवॉच ट्रैकर में लगा होगा ट्रैकर

वहीं, स्मार्ट सोल्जर ट्रैकिंग वॉच बनाने में मदद करने वाले सूरज ने बताया कि पहला ट्रांसमीटर एक वॉच की तरह काम करेगा। ये वॉच जवान की कलाई पे लगी होगी। दूसरा, हमारा रिसीवर सिस्टम काफी छोटा है। हम इसे मोबाइल की तरह जेब में भी रख सकते हैं। जब कभी भी लैंडस्लाइड जैसी दुर्घटना हुई तो वॉच के सेंसर्स पर दबाव पड़ेगा, जिससे वो एक्टिव हो जाएगा। इसके बाद रिसिवर के पास सिग्नल आएगा। जैसे ही रिसीवर घड़ी से भेजे गए रेडियो सिग्नल को रिसीव करता है, कंट्रोल रूम में लगा आलर्म बज जाएगा। फिर मलबे में दबे घड़ी के सिग्नल से अंदर के एरिया की सूचना मिल जाएगी।

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