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Akhilesh Yadav : SP मौर्य की बोई चरस से नाराज ब्राह्मणों को मना पाएंगे अखिलेश यादव ?

पार्टी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को अखिलेश ने धर्म और जाति को लेकर टिप्पणी ना करने की नसीहत भी दी । हालांकि ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले भी अखिलेश यादव जाति-धर्म पर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की हिदायत नेताओं को दे चुके हैं लेकिन उनकी ये नसीहत महज दिखावा नजर आती है ।

लोकसभा चुनाव में अब महज 3 से 4 महीनों का ही वक्त बचा है । एनडीए हो या इंडी अलायंस हर पार्टी अपने स्तर पर चुनाव की तैयारियों में जुटी है । हालांकि बीजेपी इस मामले में विपक्ष से बहुत आगे नजर आती है लेकिन कवायद समाजवादी पार्टी की भी चल रही है । यूपी में सपा भी अपने समीकरण दुरुस्त करने में जुट गई है । इंडी गठबंधन के गठन के बाद से ही सपा ने पीडीए यानि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक का नारा दिया हुआ है मगर अब पार्टी अगड़ों को भी अपने साथ जोड़ने में लगी है । इसी कवायद के तहत सपा अब ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कर रही है । राजधानी लखनऊ में मौजूद सपा के प्रदेश मुख्यालय में ब्राह्मण समाज महापंचायत सम्मेलन हुआ जिसमें पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी शामिल हुए । बड़ी बात ये रही कि अखिलेश के सामने इस कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों का मुद्दा भी उठा । सनातन धर्म और रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयानों पर ब्राह्मणों के साथ साथ सपा प्रबुद्ध सभा की राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने नाम लिए बगैर आपत्ति जताई । पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने ऐसे बयानों पर रोक लगाने की मांग उठाई । पंचायत में ये मुद्दा उठा, तो अखिलेश यादव ने तमाम पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया । उन्होंने कहा कि इस तरह की चीजों पर अंकुश लगाया जाएगा । पार्टी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को अखिलेश ने धर्म और जाति को लेकर टिप्पणी ना करने की नसीहत भी दी । हालांकि ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले भी अखिलेश यादव जाति-धर्म पर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की हिदायत नेताओं को दे चुके हैं लेकिन उनकी ये नसीहत महज दिखावा नजर आती है । समाजवादी पार्टी के कई ब्राह्मण नेता स्वामी प्रसाद के बयानों के विरोध में अखिलेश से शिकायत कर चुके हैं लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहता है । ऐसा लगता है कि जैसे सपा अध्यक्ष ने स्वामी प्रसाद मौर्य को बैकडोर से खुली छूट दे रखी है सनातन हिंदू धर्म और ब्राह्मणों को गाली देने की ताकि वो पिछड़े और अल्पसंख्यक वोटों का तुष्टिकरण कर सकें लेकिन अखिलेश यादव चाहकर भी यूपी के ब्राह्मणों को न तो नाराज कर सकते हैं और न ही नजरअंदाज कर सकते हैं क्योंकि यूपी में ब्राह्मण मतदाता करीब 12 से 14 प्रतिशत हैं । मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के बाद से भले ही राज्य में कोई ब्राह्मण मुख्यमंत्री न बना हो लेकिन ब्राह्मण समाज का रसूख हर सरकार में बना रहा । यूपी की 80 में से कुल 12 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां ब्राह्मण वोट 15 प्रतिशत से ज्यादा है । बलरामपुर, संत कबीर नगर, बस्ती, गोरखपुर, महाराजगंज, जौनपुर, देवरिया, वाराणसी, अमेठी, चंदौली, प्रयागराज और कानपुर । यानी ब्राह्मणों का एकतरफा वोट इन सीटों के नतीजे को प्रभावित करने की क्षमता रखता है । वोट शेयर के लिहाज से उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी मुस्लिम और दलितों से बेहद कम है लेकिन रणनीति बनाने और दूसरे वर्ग के मतदाताओं को प्रभावित करने में ब्राह्मण समाज बड़ी भूमिका निभाता है ।