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Is MSP Guarantee Feasible : जिस MSP पर मचा घमासान, अगर सरकार ने दी उसकी गारंटी तो जेब पर क्या होगा असर…

अब उन्हें सियासत करनी है तो बात अलग है लेकिन प्रैक्टिकली क्या ऐसा हो सकता है ? इसका जवाब है नहीं, अगर एमएसपी की गारंटी वाला कानून सरकार लागू करती है तो अर्थव्यवस्था और महंगाई दोनों मोर्चों पर इसका गंभीर असर हो सकता है । यही वजह है कि किसानों की तमाम मांगों पर सहमति जताने के बाद भी सरकार MSP को लेकर हिम्मत नहीं जुटा रही है ।

केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि MSP पर फसलों की खरीद की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग करते हुए हजारों किसानों ने दिल्ली कूच किया है । इन किसानों को एमएसपी की गारंटी वाला कानून चाहिए । वे पंजाब से दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोकने के लिए कई जगह बैरिकेडिंग की है और फिलहाल हिंसक संघर्ष चल रहा है । इससे पहले सोमवार रात को किसानों और केंद्र सरकार के बीच लंबा मंथन चला, लेकिन बात नहीं बन पाई मगर ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि इन किसानों की MSP वाली मांग को सरकार पूरा क्यों नहीं कर देती और एमएसपी की गारंटी वाला कानून क्यों नहीं बना देती । ये सवाल जितना आसान है इसका जवाब उतना ही जटिल है । क्योंकि सिर्फ मोदी सरकार ही नहीं किसी भी पार्टी की सरकार एमएसपी की गारंटी वाला कानून नहीं बना सकती राहुल गांधी ने बीते दिनों मौके का फायदा उठाने के चक्कर में कह दिया कि इस बार चुनाव जीतने पर कांग्रेस की सरकार बनी तो वो एमएसपी की गारंटी किसानों को दे देंगे । अब उन्हें सियासत करनी है तो बात अलग है लेकिन प्रैक्टिकली क्या ऐसा हो सकता है ? इसका जवाब है नहीं, अगर एमएसपी की गारंटी वाला कानून सरकार लागू करती है तो अर्थव्यवस्था और महंगाई दोनों मोर्चों पर इसका गंभीर असर हो सकता है । यही वजह है कि किसानों की तमाम मांगों पर सहमति जताने के बाद भी सरकार MSP को लेकर हिम्मत नहीं जुटा रही है । किसानों के सभी उत्पादों के लिए MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी देना कितना महंगा होगा, यह समझने के लिए कुछ आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है । पहला तो ये कि वित्त वर्ष 2020 के आधार पर समस्त कृषि उपज का कुल मूल्य 40 लाख करोड़ रुपये है । इसमें डेयरी, खेती, बागवानी, पशुधन और एमएसपी फसलों के सभी उत्पाद शामिल हैं । दूसरा, वित्त वर्ष 2020 के आधार पर ही एमएसपी वाली फसलों की उपज की बाजार में कुल कीमत 10 लाख करोड़ रुपये है । अगर एमएसपी वाली फसलों की ही MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी सरकार दे तो ये बहुत ज्यादा है । फिलहाल देश में 24 फसलों पर एमएसपी लागू है । इनमें से 7 अनाज ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, गेहूं, जौ और रागी हैं, जबकि 5 दालें, मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर भी शामिल हैं । बीते कुछ सालो में देश में इस बात को इतना दोहराया गया कि लगता है कि किसानों की फसलों को MSP पर खरीदना खेती की व्यवस्था का अनिवार्य अंग है । ऐसा नैरेटिव गढ़ा गया जिससे ये लगने लगे कि इसके बिना किसानों को लाभ हो ही नहीं सकता । हालांकि, यह सच्चाई से बहुत दूर है । गौर करने वाली बात है कि वित्त वर्ष 2020 में एमएसपी पर फसलों की कुल खरीद 2.5 लाख करोड़ रुपये के करीब रही जो कुल कृषि उपज का मात्र 6.25 फीसदी और एमएसपी फसलों की खरीद का सिर्फ 25 फीसदी है । अब सवाल उठता है कि अगर एमएसपी गारंटी कानून लागू करती है तो क्या होगा । स्पष्ट है कि किसानों की एमएसपी वाली फसलों की खरीद 2020 के आधार पर करने के लिए सालाना कम से कम 10 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च देश को करना पड़ेगा । यानि अगर सरकार किसानों की मांग मान लेती है और उन्हें एमएसपी की गारंटी देती है तो 10 लाख करोड़ की लागत उठानी पड़ेगी । तो अब सवाल उठता है कि इसके लिए इतना पैसा कहां से आएगा ? क्या आप, एक नागरिक के रूप में, इन्फ्रास्ट्रक्चर और रक्षा जैसे जरूरी खर्च में कटौती करने या डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स के जरिए ज्यादा टैक्स चुकाने को तैयार हैं ? सरकार ने अंतरिम बजट में बुनियादी ढांचे के लिए इसी रकम के बराबर यानि 11.11 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं । बीते सात वित्तीय वर्षों में हमारे बुनियादी ढांचे पर किया गया वार्षिक औसत खर्च 67 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 10 लाख करोड़ रुपये से बहुत कम नहीं है । लिहाजा, एमएसपी की गारंटी वाली मांग आर्थिक और देश के खजाने पर या यूं कहें कि आपकी जेब पर पड़ने वाले असर को देखते हुए एकदम बेतुकी लगती है और विशुद्ध रूप से ये सरकार के खिलाफ एक राजनीति से प्रेरित तर्क ज्यादा नजर आता है ।