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India-China: लद्दाख और तवांग में पिटने के बाद चीन का नया पैंतरा, विदेश मंत्री के जरिए बोला- हम विकास के लिए भारत के साथ

पूर्वी लद्दाख और तवांग में भारतीय सेना के वीर जवानों ने चीन के अतिक्रमणकारी सैनिकों को जमकर जवाब दिया था। दोनों जगह चीन की दाल नहीं गल सकी। भारतीय सेना ने अपने पराक्रम में चीन की हर चाल को नाकाम कर रखा है। ऐसे में अब चीन एक बार फिर भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने का खेल कर रहा है।

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china foreign minister wang yi

बीजिंग। पूर्वी लद्दाख और तवांग में भारतीय सेना के वीर जवानों ने चीन के अतिक्रमणकारी सैनिकों को जमकर जवाब दिया था। दोनों जगह चीन की दाल नहीं गल सकी। भारतीय सेना ने अपने पराक्रम में चीन की हर चाल को नाकाम कर रखा है। ऐसे में अब चीन एक बार फिर भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने का खेल कर रहा है। चीन पहले भी दोस्ती की आड़ में भारत की पीठ पर छुरा घोंपता रहा है। ऐसे में उसकी ओर से दोस्ती का नया ऑफर शिगूफे से कम नहीं लगता। चीन की तरफ से दोस्ती का ये हाथ वहां की सरकार ने बढ़ाया है। चीन के विदेश मंत्री ने इस बारे में अपनी सरकार की बात सामने रखी है।

PM Modi and Jinping

वांग यी ने मीडिया से कहा कि हम विकास की दिशा में भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं। वांग यी का ये बयान पिछले दिनों तवांग में चीन और भारत की सेना के बीच हुए संघर्ष के बाद आया है। तवांग में चीन के सैनिकों को भारतीय जवानों ने पीटकर खदेड़ा था। उसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। तवांग में चीन की सेना की हिमाकत से पहले इंडोनेशिया में हुई जी-20 देशों की बैठक में भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी भारत की तरफ दोस्ती की पहल दिखाई थी। जिनपिंग ने बैठक के दौरान डिनर के मौके पर खुद पीएम नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाया था। तब जिनपिंग को मोदी कुछ कहते भी देखे गए थे। इसके बाद ही तवांग में संघर्ष की घटना हो गई थी।

India and china 1

चीन लगातार भारत के साथ दोस्ती की लुकाछिपी वाला खेल जारी रखता आया है। 1962 में उसने हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे को दरकिनार कर भारत पर हमला किया था। उसके बाद से चीन के कब्जे में भारत का 48000 वर्ग किलोमीटर इलाका है। चीन ने डेमचोक और डेपसांग में भी भारतीय इलाकों पर काफी समय से कब्जा कर रखा है। इन दोनों इलाकों से उसकी सेना वापस जाने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में चीन के विदेश मंत्री का ताजा दोस्ती का राग किसी भुलावे से कम नहीं दिखता। इतिहास तो यही बताता है।

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