वॉशिंगटन। अमेरिका और चीन के बीच तनातनी और बढ़ने के आसार हैं। दरअसल, इस साल की शुरुआत में अमेरिका के हवाई क्षेत्र में चीन का बड़ा सा गुब्बारा दिखा था। इस गुब्बारे को अमेरिका की वायु सेना के विमानों ने मार गिराया था। अब अमेरिका की जांच में खुलासा हुआ है कि इस गुब्बारे में लगे यंत्रों के जरिए चीन ने जासूसी की थी। अमेरिका ने पहले भी चीन पर गुब्बारा भेजकर जासूसी करने का आरोप लगाया था, लेकिन चीन ने तब आरोपों को गलत बताया था। गुब्बारे से जासूसी कराने के मामले में चीन और अमेरिका के बीच तनातनी हुई थी। अब ताजा खुलासे से ये तनातनी नया रंग ले सकती है।
अमेरिका के अफसरों ने बताया कि चीन के गुब्बारे ने अमेरिकी इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनी के इंटरनेट का ही इस्तेमाल भी किया। अमेरिकी अफसरों के मुताबिक जांच में पता चला है कि चीन के गुब्बारे ने अमेरिका के कुछ लोकेशन और नेविगेशन की जानकारी चीन भेजी और अहम खुफिया जानकारियां भी इकट्ठा की। चीन का इरादा इस गुब्बारे से दर्ज जानकारियों को हासिल करना था। जिसके लिए वो बाद में गुब्बारे को वापस चीन ले आता, लेकिन उससे पहले ही अमेरिका की वायु सेना के विमानों ने मिसाइलें दागकर चीन के इस गुब्बारे को गिरा दिया। चीन का गुब्बारा अटलांटिक महासागर में गिरा था। जहां से इसे अमेरिकी नौसेना ने उठाया था। फिर इसकी जांच कराई गई थी।
चीन हालांकि लगातार ये कहता रहा है कि उसने जासूसी के लिए गुब्बारा नहीं भेजा था। चीन के मुताबिक अमेरिका के ऊपर जो गुब्बारा दिखा था, वो मौसम की जानकारी जुटाने के लिए था। चीन का ये भी दावा था कि ये गुब्बारा रास्ता भटककर अमेरिका के आसमान में पहुंचा था। वहीं, अमेरिका ने ये दावा किया था कि चीन के ऐसे ही और गुब्बारे 5 महाद्वीपों में देखे गए। अमेरिका ने ये खुलासा भी किया था कि भारत के ऊपर भी चीन का ऐसा ही एक गुब्बारा लंबे समय तक मंडराता रहा था। हालांकि, भारत ने इस मसले पर कोई बयान नहीं दिया। अब अमेरिका का ताजा आरोप चीन को घेरने के लिए दिख रहा है। बता दें कि बीते दिनों ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका का दौरा किया था और वो राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मिले थे।