यरुशलम। हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच संघर्ष विराम समझौता हो गया है। इस साल 8 अक्टूबर से इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जमकर संघर्ष हो रहा था। इसमें लेबनान में हजारों लोगों की जान गई। हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच इस जंग में हजारों की बलि चढ़ने के बाद और खूनखराबा न करने का समझौता तो हुआ है, लेकिन इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतनयाहू ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर हिजबुल्लाह ने फिर खुद को ताकतवर बनाने की कोशिश की, तो उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई होगी।
इजरायल की कैबिनेट में हिजबुल्लाह से संघर्ष विराम का प्रस्ताव पास कराने के दौरान बेंजामिन नेतनयाहू ने कहा कि हमने इस दौरान कई लक्ष्य हासिल किए। जिसे पहले साइंस फिक्शन समझा जा रहा था, वो हकीकत में बदल दिया। नेतनयाहू ने कहा कि इजरायल ने हिजबुल्लाह के सबसे बड़े नेता हसन नसरल्लाह को मार दिया है। हिजबुल्लाह के अन्य टॉप के नेता भी ढेर किए हैं। उन्होंने हमास के नेता याह्या सिनवार और अन्य की मौत का भी जिक्र किया। इसके बाद नेतनयाहू ने चेतावनी के लहजे में कहा कि हमने हिजबुल्लाह को 10 साल पीछे धकेल दिया, लेकिन अगर उसने फिर अपनी सैन्य ताकत बढ़ाई, रॉकेट तैयार किए, रॉकेट को ले जाने वाले ट्रक खरीदे, तो उस पर फिर सैन्य कार्रवाई होगी। साथ ही उन्होंने ये भी चेतावनी दी कि हिजबुल्लाह लेबनान के दक्षिण में फिर आतंकी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार न करे।
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम की एक शर्त ये भी है कि लेबनान की सेना अब उन इलाकों में रहेगी, जहां हिजबुल्लाह का गढ़ था। लेबनान की सेना ये देखेगी कि देश के दक्षिण में इजरायल से लगती सीमा पर हिजबुल्लाह फिर अपने गढ़ न बना सके। वहीं, लेबनान ने उम्मीद जताई है कि इजरायल के हमले में जो कुछ भी नष्ट हुआ है, उसे फिर से बनाने में अमेरिका से मदद मिलेगी। दरअसल, इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम में अमेरिका और फ्रांस की कूटनीति का बड़ा हाथ है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम की जानकारी देते हुए ये बात खुद कही है।