नई दिल्ली। चाहे वो कोई सियासी जलसा हो या कोई आंदोलन या कोई मुहिम। हिंदुस्तान की राजनीति में खालिस्तानी मुद्दा हमेशा से ही चर्चा का सबब रहा है। चुनाव से लेकर आंदोलन तक खालिस्तानी मुद्दा अब केंद्रीय मुद्दा बन चुका है। इतना ही नहीं, कृषि आंदोलन के दौरान तो खालिस्तानी मुद्दा इतना गंभीर हो चुका था कि उसकी गूंज विलायती धरा पर गूंजी थी। जिस पर भारत सरकार ने आपत्ति जताई थी। अब एक बार फिर से कुछ ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई जिसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से कड़ा पैगाम जारी किया गया है। आइए, आगे आपको पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, कनाडा में प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने आगामी 6 नवंबर को खालिस्तानियों के पक्ष में जनमत संग्रह कराने हेतु कार्यक्रम का आयोजन नियत किया है, जिस पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है। केंद्र सरकार की ओर से जारी बयान में कनाडा सरकार से इस कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई है। भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि जनमत संग्रह और उक्त कार्यक्रम के बहाने भारत के विरोध में नफरत फैलाने की कोशिश की जा सकती है, जिस पर रोक लगाने हेतु कनाडा सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे।
केंद्र सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस कार्यक्रम को संचालित कराने हेतु कनाडा सरकार की ओर से अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला दिया जा सकता है, लेकिन यहां हमें एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि अब कई भूभागों से खालिस्तानियों के विरोध में स्वर तीक्ष्ण होते जा रहे हैं। यहां तक की कई कनाडाई प्रबद्ध नागरिकों ने मुखर होकर खालिस्तानी गतिविधियों की भत्सर्ना की है। कई कनाडाई नागरिकों ने खुलकर कहा कि खालिस्तानी संगठन सिख युवकों को दिग्भ्रमित करके अपने झूठे अभियानों को नई उड़ान देने की दिशा में लगे हुए हैं।
कनाडा सरकार से हस्तक्षेप करते हुए कहा गया है कि अगर उनके हिंसक साधनों को बंद नहीं करते हैं, तो हम एक बड़ी समस्या में हैं। वास्तव में, सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि कई लोगों को लगता है कि ओंटारियो प्रांत में 6 नवंबर को होने वाला खालिस्तानी जनमत संग्रह अलगाववादी तत्वों को रैंकों में शामिल होने और अपने भारत विरोधी अभियान को मजबूत करने के लिए एक खुला निमंत्रण है।
वहीं, सरे स्थित प्रसारक मनिंदर गिल ने एक रेडियो चैनल को बताया, “मैं 19 साल तक भारत नहीं आ सका। मैं अपने करीबी रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका। पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद ब्लैकलिस्ट को खत्म कर दिया गया और मैं भारत का दौरा कर सका। बहरहाल, अभी इस पूरे प्रकरण को लेकर जिस तरह का विवाद बना हुआ है, उसे लेकर यह पूरा माजरा आगामी दिनो में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।