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दुनियाभर में बढ़ रहा संस्कृत भाषा का दबदबा, इस देश के राष्ट्रपति ने देवभाषा में ली पद और गोपनीयता की शपथ

संतोखी को विरासत में बॉउटर्स से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली है, जिन्होंने चीन और वेनेजुएला के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करते हुए देश को आर्थिक समस्याओं का शिकार बना दिया।

नई दिल्ली। एक तरफ जहां भारत में संस्कृत भाषा की भले ही अनदेखी हो रही हो लेकिन विदेशों में रह रहे भारतीय अभी तक इस भाषा के जरिए अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं। भारतीय मूल के चंद्रिका प्रसाद संतोखी जो हाल ही में लेटिन अमेरिकी देश सूरीनाम के राष्ट्रपति चुने गए हैं उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ संस्कृत भाषा में ली है।

Chandrikapersad Santokhi

चंद्रिका प्रसाद संतोखी संस्कृत में शपथ लेकर इस भाषा का मान तो बढ़ाया ही है साथ में यह भी बता दिया है कि उन्हें भारतीय संस्कृति से कितना लगाव है। चंद्रिका प्रसाद को सूरीनाम में चान प्रसाद कहा जाता है और संस्कृत में शपथ लेने के बाद वे भारतीय सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं।

सूरीनाम एक पूर्व डच उपनिवेश है, जहां 587,000 की आबादी में 27.4 प्रतिशत लोगों के साथ भारतीय मूल के लोग सबसे बड़ा जातीय समूह हैं और चंद्रिका प्रसाद की पार्टी मुख्य तौर पर भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और पार्टी को युनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी कहा जाता है।

राष्ट्रपति पद के चुनाव में चंद्रिका प्रसाद ने पूर्व सैन्य नेता डेसी बॉउटर्स को हराया है। सूरीनाम एक पूर्व डच उपनिवेश है, जहां 587,000 की आबादी में 27.4 प्रतिशत लोगों के साथ भारतीय मूल के लोग सबसे बड़ा जातीय समूह हैं। पीआरपी मुख्यत: भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और मूल रूप से इसे युनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी कहा जाता था।

Chandrikapersad Santokhi

संतोखी को विरासत में बॉउटर्स से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली है, जिन्होंने चीन और वेनेजुएला के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करते हुए देश को आर्थिक समस्याओं का शिकार बना दिया।