newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

चीन में कभी धार्मिक संघर्ष नहीं हुआ: ल्यू ह्वा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 43वें सम्मेलन में सोमवार को धार्मिक विश्वास की मुक्ति मामले पर विशेष रिपोर्टर के साथ परस्पर संवाद आयोजित हुआ।

बीजिंग।  संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 43वें सम्मेलन में सोमवार को धार्मिक विश्वास की मुक्ति मामले पर विशेष रिपोर्टर के साथ परस्पर संवाद आयोजित हुआ। चीनी विदेश मंत्रालय की मानवाधिकार मामले की विशेष प्रतिनिधि ल्यू ह्वा ने कहा कि चीन में धार्मिक संघर्ष कभी नहीं हुआ। विभिन्न धर्मों के अनुयायी सामंजस्यपूर्ण रूप से चीन में रहते हैं। जो ना सिर्फ चीन की परंपरागत संस्कृति की सहनशीलता को दिखाता है बल्कि यह भी जाहिर करता है कि चीन सरकार द्वारा उठाए गए धार्मिक विश्वास से जुड़े कदम चीन की वास्तविक स्थिति से मेल खाते हैं।

spokesperson hua
उन्होंने कहा कि चीनी संविधान के अनुसार धार्मिक और गैर-धार्मिक नागरिकों के साथ कोई भेदभाव नहीं है। चीन में बौद्ध धर्म, ताओ धर्म, इस्लाम धर्म, कैथोलिक धर्म और ईसाई धर्म आदि हैं। धार्मिक मंडल 5500 से अधिक हैं। सौ से अधिक धार्मिक कॉलेज और 1.4 लाख धार्मिक स्थल हैं।


ल्यू ह्वा ने यह भी कहा है कि चीन ने विशेष रिपोर्टर के व्यापक व व्यावहारिक रिपोर्ट देने की प्रशंसा की। इस रिपोर्ट में चीन समेत 170 से अधिक देशों द्वारा पर्यावरण संरक्षण में किये गये अच्छे अभ्यास का परिचय दिया गया जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये उपयोगी संदर्भ है।


लयू ह्वा ने बल देकर कहा कि पर्यावरण संरक्षण एक दीर्घकालीन कार्य है। हमें पारिस्थितिक पर्यावरण की कीमत पर आर्थिक विकास कभी नहीं करना चाहिए। चीन ने पारिस्थितिकीय सभ्यता का निर्माण और सुन्दर चीन का निर्माण करने की रणनीति पेश की। चीन अक्षय ऊर्जा के विकास पर ध्यान देता है। वह विश्व में सौर व पवन ऊर्जा का प्रयोग करने वाले पांच बड़े देशों में से एक है। जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और ऊर्जा के किफायत व उत्सर्जन को कम करने में चीन ने उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है।