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High-tech Handshake Event: ‘टैलेंट और टेक्नोलॉजी जुड़ने पर उज्ज्वल भविष्य’, भारतीय-अमेरिकी सीईओ और उद्योगपतियों से बोले पीएम मोदी

हाईटेक हैंडशेक ईवेंट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि भारत और अमेरिका का सहयोग काफी महत्वपूर्ण है। जो बाइडेन ने कहा कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं, दुनिया के लिए भारत से रिश्ते इसलिए अहम हैं, क्योंकि ये नए लेवेल और ब्रेकथ्रू से भी आगे जा चुके हैं। बाइडेन ने इन रिश्तों में तकनीकी के क्षेत्र को अहम बताया।

वॉशिंगटन। पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। अपने दौरे के तीसरे दिन शुक्रवार को मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मशहूर उद्योगपतियों और टॉप कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक की। बैठक को ‘हाईटेक हैंडशेक ईवेंट’ का नाम दिया गया था। इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि उज्ज्वल भविष्य के लिए टैलेंट और टेक्नोलॉजी का साथ आना जरूरी है। मोदी ने इस मौके पर कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में टैलेंट और टेक्नोलॉजी का बड़ा हाथ है। उन्होंने अमेरिका में भारतीय मूल के सीईओ और टेक्नोक्रेट की मेहनत को उद्धृत करते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों में उनकी बड़ी भूमिका की खुलकर तारीफ की।

हाईटेक हैंडशेक ईवेंट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि भारत और अमेरिका का सहयोग काफी महत्वपूर्ण है। जो बाइडेन ने कहा कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं, दुनिया के लिए भारत से रिश्ते इसलिए अहम हैं, क्योंकि ये नए लेवेल और ब्रेकथ्रू से भी आगे जा चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने उद्योगपतियों और सीईओ से कहा कि भारत-अमेरिकी रिश्ते पर्यावरण को बचाने, ब्रह्मांड के रहस्यों की खोज, गरीबी उन्मूलन, महामारी से बचाव और हम दोनों देशों के नागरिकों को वास्तविक अवसर देने के लिए हैं।

modi and biden

हाईटेक हैंडशेक ईवेंट में मोदी और बाइडेन के साथ माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, एप्पल के सीईओ टिम कुक, रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी, महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, जेरोधा एंड ट्रू बीकन के सह संस्थापक निखिल कामत, नासा की अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स, ओपन एआई के सैम ऑल्टमैन, रेवती अद्वैती, लीसा सू, विल मार्शल, टॉमस टुल, वृंदा कपूर और हेमंत तनेजा भी थे। सभी ने भारत-अमेरिका सहयोग के लगातार बढ़ने को सराहा और इसमें अपनी तरफ से हर संभव सहयोग देने का भरोसा दिया। उम्मीद है कि हाईटेक हैंडशेक ईवेंट के बाद भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच सहयोग बढ़ेगा और इससे सस्ती टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में चीन जैसे देशों का एकाधिकार खत्म होगा।