वॉशिंगटन। अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों के संगठन को चेतावनी दी है। ट्रंप ने कहा कि अगर ब्रिक्स संगठन अमेरिका के खिलाफ नीतियां लागू करता है, तो उनको नतीजा भुगतना होगा। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ब्रिक्स देशों ने अमेरिका के हितों के खिलाफ कई कदम उठाए। अगर ब्रिक्स देश आगे भी ऐसा करते रहे, तो उनके साथ वो होगा जिससे वे खुश नहीं रह सकेंगे। इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर संगठन ने अमेरिका के डॉलर को कमजोर करने की कोशिश की, तो वो ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाएंगे।
Washington DC, USA: On BRICS, US President Donald Trump says, “…However, we’re going to put at least a 100% tariff on the business they do with the United States…”
(Video Credit: The White House/YouTube) pic.twitter.com/ia55gT3ibp
— IANS (@ians_india) January 21, 2025
ब्रिक्स में भारत, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और यूएई हैं। कई और देश इस संगठन से जुड़ना चाहते हैं। अक्टूबर 2024 में जब ब्रिक्स देशों का शिखर सम्मेलन हुआ था, तब उसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा था कि अमेरिका ने डॉलर को हथियार बना लिया है। पुतिन ने कहा था कि ये बड़ी गलती है। रूस के राष्ट्रपति ने कहा था कि हम डॉलर का इस्तेमाल करने से इनकार नहीं कर रहे, लेकिन अगर अमेरिका हमें काम नहीं करने दे रहा, तो क्या कर सकते हैं। पुतिन ने कहा था कि विकल्प तलाशने के लिए हमें मजबूर होना पड़ता है। ब्रिक्स संगठन के देश अमेरिका के डॉलर और यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। वहीं कई विकासशील देशों ने भी पहले कहा है कि दुनिया की वित्तीय प्रणाली में अमेरिका के प्रभुत्व से वो तंग हैं।
वहीं, भारत ने डॉलर के मुकाबले संगठन की अलग मुद्रा लाने का पक्ष नहीं लिया था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा था कि हम डॉलर विरोधी नहीं है। उन्होंने ये भी कहा था कि ब्रिक्स की योजना अलग मुद्रा लाने की भी नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा था कि डॉलर के मसले पर ब्रिक्स में शामिल देशों की अलग-अलग राय हो सकती है। अब डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों को दी गई चेतावनी पर रूस समेत अन्य सदस्य देशों की प्रतिक्रिया आ सकती है। रूस और अमेरिका में यूक्रेन के मसले पर तनातनी चल रही है। वहीं, चीन भी अमेरिका को फूटी आंख नहीं सुहाता।