
कुआलालंपुर। भारत और चीन के बीच लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के संबंध में साल 2020 से काफी तनाव है। दोनों देशों की फौज एलएसी पर बड़ी तादाद में तैनात है। भारत और चीन के बीच कई स्तर पर बातचीत भी हो रही है। इसके बाद भी पिछले कुछ दिनों में चीन लगातार ये बयान देता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है। चीन के ऐसे भड़काऊ बयानों पर अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो टूक बात कही है। मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में बुधवार को जयशंकर ने प्रवासी भारतीयों से बात करते हुए कहा कि भारत की स्थिति बिल्कुल साफ है। हमारे बीच एक समझौता था। वहां एलएसी है। भारत और चीन की उस रेखा पर सेना न लाने की परंपरा रही है।
जयशंकर ने आगे कहा कि भारतीयों के प्रति मेरा पहला कर्तव्य है कि सीमा की सुरक्षा की जाए। विदेश मंत्री ने कहा कि इस बारे में मैं कभी समझौता नहीं कर सकता। विदेश मंत्री ने साफ कहा कि भारत हर पड़ोसी देश से अच्छे रिश्ते चाहता है, लेकिन हर रिश्ते को किसी न किसी आधार पर ही स्थापित करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हम चीन के साथ सामान्य स्थिति चाहते हैं। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि सीमा विवाद के बाद भी भारत और चीन इस पर सहमत हुए कि एलएसी पर सेना नहीं लाएंगे। हमारे सामने हिंसा और रक्तपात की स्थिति पैदा न होने का समझौता था।
STORY | Normalcy in ties with China will only be achieved based on traditional deployment of troops: Jaishankar (@DrSJaishankar)
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— Press Trust of India (@PTI_News) March 28, 2024
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि दुर्भाग्य से 2020 में समझौता तोड़ा गया। जिसके कारण भारत के सामने अब भी साफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से सीमा पर हिंसा और रक्तपात हुआ। उन्होंने कहा कि अब भी हम चीन से बातचीत कर रहे हैं। दरअसल, चीन ने 2020 में पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ करने की कोशिश की और गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन के जवानों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। उस संघर्ष में भारतीय सेना के कर्नल बी. संतोष बाबू के साथ 20 जवान शहीद हुए थे। जबकि, चीन के भी तमाम सैनिकों को जान से हाथ धोना पड़ा था। तभी से भारत और चीन के रिश्ते फिर खराब होने शुरू हुए।