
पेरिस। इजरायल के हमलों और अमेरिका के युद्ध में कूदने की अटकलों के बीच यूरोपीय देशों ने भी ईरान पर नजरें टेढ़ी कर ली हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूरोप ने ईरान के सामने तीन शर्तें रखी हैं। पहली शर्त है कि ईरान को यूरेनियम संवर्धन रोकना होगा। दूसरी शर्त है कि ईरान को अपना बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम भी रोकना होगा और तीसरी शर्त है कि पश्चिम एशिया में जितने भी आतंकी संगठन हैं, उनको समर्थन देना भी ईरान को बंद करना होगा। ईरान पहले ही साफ कर चुका है कि वो यूरेनियम संवर्धन बंद नहीं करेगा और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम भी नहीं रोकेगा। आतंकी संगठनों को भी मदद देने से ईरान पहले ही इनकार करता रहा है। इस बीच, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने साफ कह दिया है कि उनका देश थोपी गई शांति को मंजूर नहीं करेगा।

यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों के साथ जेनेवा में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने शुक्रवार को बैठक की थी। इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल सका। बैठक में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने यूरोपीय देशों को साफ कह दिया कि परमाणु मसले पर उनका देश इजरायल का हमला बंद होने पर ही बातचीत करेगा। ईरान के विदेश मंत्री पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि अमेरिका से परमाणु मसले पर बातचीत को पटरी से उतराने के लिए ही इजरायल ने हमला किया है। वहीं, ईरान सरकार की तरफ से ये भी कहा गया है कि परमाणु हथियार बनाने का उसका कोई इरादा नहीं है और सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने भी इसकी मंजूरी नहीं दी है।

दूसरी तरफ, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भी ईरान के पक्ष में खुलकर खड़े हो गए हैं। वहीं, चीन की सरकार ने भी इजरायल से कहा है कि उसकी ओर से ताकत का इस तरह प्रदर्शन सही नहीं है। इससे ईरान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो अहम देशों का साथ मिला है। ईरान का कहना है कि उसने परमाणु अप्रसार संधि यानी एनपीटी पर दस्तखत किए हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ईरान के परमाणु स्थलों का निरीक्षण भी करता रहता है। ईरान का कहना है कि वो अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत यूरेनियम संवर्धन कर सकता है। वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि ईरान को यूरेनियम संवर्धन बंद करना होगा। इसके एवज में बहुराष्ट्रीय स्तर पर ईरान को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए जरूरी चीजें दी जाएंगी। ईरान ने ट्रंप का ये ऑफर ठुकरा दिया है।