नई दिल्ली। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर जारी हिंसक प्रदर्शन के चलते भारतीय उच्चायोग ने वहां रहने वाले भारतीयों के लिए एडवाइजरी की है। भारतीय उच्चायोग ने अपने नागरिकों को घर पर ही रहने और यात्रा से बचने की सलाह दी है। इसके साथ ही किसी भी आपातकाल स्थिति में मदद के लिए उच्चायोग की तरफ से हेल्पलाइन नंबर्स भी जारी किए गए हैं जिन पर 24 संपर्क किया जा सकता है।
India’s High Commission in Dhaka issues advisory for the Indians living in Bangladesh amid the ongoing situation in the south Asian nation.
“The Indian community members and the Indian students residing in Bangladesh are advised to avoid travel and minimize their movement… pic.twitter.com/JvxRxKOGuw
— Press Trust of India (@PTI_News) July 18, 2024
आपको बता दें कि बांग्लादेश के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में मंगलवार को 3 विद्यार्थियों सहित 6 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए। सरकार ने बढ़ती हिंसा के मद्देनजर अगले आदेश तक स्कूल और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया है। इस प्रदर्शन की शुरुआत सबसे पहले ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने की। शुरुआत में छात्रों का प्रदर्शन काफी शांतिपूर्ण था लेकिन बाद में इसमें राजनीतिक दलों ने भी एंट्री कर ली। मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी समेत कई अन्य दलों के नेता भी स्टूडेंट्स के साथ प्रदर्शन में शामिल हो गए। धीरे-धीरे प्रदर्शन हिंसक होता चला गया। प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स का कहना है कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था के चलते सरकारी नौकरियों में मेधावी छात्रों के साथ पक्षपात हो रहा है।
इस कारण से हो रहे प्रदर्शन
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियां में 1971 में बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों को 30 फीसदी आरक्षण मिलता हैं। प्रशासनिक जिलों के लिए 10 प्रतिशत, महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत, जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए 5 प्रतिशत और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए 1 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित रही हैं। हालांकि इस आरक्षण व्यवस्था को 2018 में निलंबित कर दिया गया था, मगर पिछले महीने बांग्लादेश की हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के परिवार के सदस्यों के लिए नौकरी में 30 प्रतिशत आरक्षण फिर से दिए जाने का आदेश दिया। इसके बाद से वहां प्रदर्शन शुरू हो गए। इन प्रदर्शन को देखते हुए वहां की सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर 4 हफ्ते के लिए रोक लगा दी और कहा है कि वह 4 हफ्ते के बाद इस मुद्दे पर फैसला करेगा, इसके बावजूद विरोध-प्रदर्शन जारी है।