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दावोस में इमरान ने फिर से अलापा कश्मीर का राग, जवाब में ट्रंप ने कही ये बात

स्विट्जरलैंड के दावोस में मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह मुलाकात वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) से इतर हुई।

नई दिल्ली। स्विट्जरलैंड के दावोस में मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। दोनों नेताओं की यह मुलाकात वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्लूईएफ) से इतर हुई। इस मुलाकात में इमरान खान ने ट्रंप के सामने एक बार फिर से कश्मीर का राग अलापा। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बार फिर कश्मीर पर मध्यस्थता की इच्छा जाहिर की है। ट्रंप ने कहा कि हम भारत और पाकिस्तान के संबंध में कश्मीर को लेकर सोच रहे हैं और अगर हम मदद कर सकते हैं तो निश्चित रूप से ऐसा करेंगे। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने कश्मीर पर अपनी राय रखी है।

Donald Trump and Imran Khan

पाकिस्तान को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘हम और ज्यादा कारोबार कर रहे हैं। कुछ अन्य मसलों पर भी साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हम कश्मीर पर भी बात कर रहे हैं कि वहां भारत और पाकिस्तान के बीच क्या हो रहा है। हम इसपर नजर बनाए हुए हैं और बहुत करीब से देख रहे हैं। अगर हम कुछ मदद कर सकते हैं, तो जरूर मदद करेंगे।’

व्हाइट हाउस द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, खान ने वाशिंगटन को भारत से विवाद सुलझाने में भूमिका निभाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए पाकिस्तान में यह बड़ा मुद्दा है। और बेशक हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि इन मुद्दों को सुलझाने में अमेरिका भूमिका निभाएगा क्योंकि और कोई देश ऐसा नहीं कर सकता।”

ट्रंप से एक पत्रकार द्वारा यह पूछने पर कि क्या आगामी भारत दौरे के दौरान वे पाकिस्तान जाएंगे तो उन्होंने कहा कि वे इमरान से यहां मिल रहे हैं तो वे वहां नहीं जाएंगे।

Donald Trump & Imran Khan

बैठक में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि इमरान खान उनके अच्छे मित्र हैं। दोनों नेताओं की इस बैठक से पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने बता दिया था कि कश्मीर मुद्दे और अफगान शांति प्रक्रिया पर व्यापक बातचीत की जाएगी। दावोस के इस सम्मेलन में कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहुंचे हैं।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे पहले भी कश्मीर पर मध्यस्थता करने की मंशा जाहिर की थी। हालांकि भारत ने उसे सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि कश्मीर द्विपक्षीय मसला है और इस पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।