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चीन में शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ गुस्सा, सैनिकों की मौत छिपाने की वजह से सेना में बगावत मुमकिन

दरअसल एलएसी पर भारतीय सैनिकों के साथ उलझना चीन की कम्युनिस्ट सरकार के लिए बहुत भारी पड़ रहा है। एक तरफ जहां भारत सरकार ने जहां उसके खिलाफ आर्थिक मोर्चेबंदी शुरू कर दी है, वहीं उसे अपने देश के लोगों को भी गलवान घाटी की झड़प पर जवाब देते नहीं बन रहा है।

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सेना की भारतीय सैनिकों के साथ झड़प अब चीन को भारी पड़ती नजर आ रही है। झड़प के बाद ड्रैगन अपने ही देश में घिरता जा रहा है। दरअसल एलएसी पर भारतीय सैनिकों के साथ उलझना चीन की कम्युनिस्ट सरकार के लिए बहुत भारी पड़ रहा है। एक तरफ जहां भारत सरकार ने जहां उसके खिलाफ आर्थिक मोर्चेबंदी शुरू कर दी है, वहीं उसे अपने देश के लोगों को भी गलवान घाटी की झड़प पर जवाब देते नहीं बन रहा है।

PM Modi and Jinping

जिनपिंग सरकार ने गलवान में 40 से ज्यादा सैनिकों की मौत को छिपाया जिससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पूर्व दिग्गजों और मौजूदा जवानों के बीच इस कदर नाराजगी बढ़ती जा रही है कि वो कभी भी सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह कर सकते हैं। वाशिंगटन पोस्ट के ओपिनियन में चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के एक पूर्व नेता के पुत्र और चीन के लिए सिटीजन पावर इनिशिएटिव के अध्यक्ष जियानली यांग ने इसका खुलासा किया।

shi jinping

जियानली ने लिखा कि लंबे समय से पीएलए चीन की सत्ता का मुख्य हिस्सा रहा है। अगर देश की सेवा में कार्यरत पीएलए कैडर की भावनाएं आहत होती हैं तो ये रिटायर सैनिकों के साथ मिलकर देश की सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी करेगा। वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि बीजिंग को डर है कि अगर वह यह मान लेता है कि भारत से ज्यादा उसके अपने सैनिक मारे गए थे तो देश में अशांति फैल सकती है और सीसीपी की सत्ता भी दांव पर लग सकती है।

यांग ने लिखा है, ‘सीसीपी की सरकार के लिए पीएलए ने अब तक एक मजबूत स्तंभ की तरह काम किया है। अगर पीएलए के मौजूदा सैनिकों की भावनाएं आहत होती हैं और वे लाखों दिग्गजों (इनमें पीएलए के वो सदस्य शामिल हैं जो शी से नाराज हैं..जिनमें पीएलए को व्यवसायिक गतिविधियों से अलग करने की शी की मुहिम के विरोधी हैं) के साथ आ जाते हैं तो शी के नेतृत्व को मजबूती के साथ चुनौती दे सकते हैं।’

India China army

उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से जब पूछा गया कि इस झड़प में कितने सैनिक मारे गए तो उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में उनके पास कोई जानकारी ही नहीं ही। अगले दिन जब उनसे भारतीय मीडिया की खबरों का हवाला दिया, जिसमें चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की बात थी तो उन्होंने इसे गलत सूचना करार दे दिया।

यांग लिखते हैं, ‘घटना के एक हफ्ते बाद भी चीन ने यह नहीं माना कि उसके कितने सैनिक मारे गए। जबकि भारत ने अपने सैनिकों के शहीद होने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की और उनका पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।’

India China Army

बता दें कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना 20 जवान शहीद हुए थे।वहीं, दूसरी ओर चीन की तरफ से अब तक उसके मारे गए सैनिकों के आंकड़ें जारी नहीं किए गए हैं।