
बीजिंग। चीन की सेना यानी पीएलए का अहम बयान आया है। पीएलए ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर स्थित देपसांग और डेमचोक से उसकी और भारत की सेना हट रही है। यहां दोनों देशों के सैनिक 4 साल पहले लगाए गए अस्थायी टेंट व अन्य सामान हटा रहे हैं। चीन की सेना ने कहा है कि भारत से हुए समझौते के तहत ही दोनों देशों की सेना काम कर रही है। वहीं, ताजा जानकारी है कि सोमवार या मंगलवार तक देपसांग और डेमचोक से भारत और चीन की सेना सभी साजोसामान हटा लेंगी। हालांकि, ये स्थानीय मौसम और हालात पर भी निर्भर करेगा।
देपसांग और डेमचोक का भारत और चीन का विवाद काफी पुराना है। देपसांग और डेमचोक में भारत की सेना अब फिर से गश्त लगा सकेगी। देपसांग में एक दर्जन से ज्यादा पेट्रोलिंग प्वॉइंट हैं। यहां तक चीन की सेना भारत के जवानों को नहीं जाने देती थी। वहीं, डेमचोक के चारडिंग नाले पर भी चीन का कब्जा था और वहां भी भारत की गश्त बंद थी। इनके अलावा गलवान, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और पेंगोंग सो के मसले पर चीन बातचीत कर समाधान निकालने के लिए तैयार था। भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर 2024 को हुए गश्त यानी पेट्रोलिंग संबंधी समझौते के तहत काफी अर्से बाद अब देपसांग और डेमचोक के पुराने पेट्रोलिंग प्वॉइंट पर भारतीय सेना के जवान जा सकेंगे।
एलएसी पर अभी अन्य जगह भारत और चीन की सेना आमने-सामने है। हालांकि, बीते साल कुछ जगह से दोनों ने सेना को पीछे हटाकर बफर जोन बनाया था। अभी ये पता नहीं है कि बफर जोन में भारत और चीन के सैनिक गश्त करने जाएंगे या नहीं। चीन ने सेना हटाने की शर्त मानने के लिए कहा था कि बफर जोन में कोई भी नहीं जाएगा। बहरहाल, 2020 से चीन से लगातार जो तनाव था, वो अब कम होता दिख रहा है। बता दें कि चीन पूर्वी लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है। उसका दावा है कि दोनों ही जगह उस तिब्बत का हिस्सा हैं, जो अब उसका हिस्सा है। वहीं, भारत का कहना है कि पूरा लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग हैं और किसी को भी संप्रभुता को चुनौती नहीं देने दी जाएगी।