
नई दिल्ली। भारत और रूस की दोस्ती के किस्से आपने आजतक खूब सुने होंगे। यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन इसके बाद भी इराक और सऊदी अरब से कच्चे तेल की निर्भरता को कम करते हुए भारत रूस से ज्यादा कच्चे तेल आयात कर रहा है। पश्चिमी देशों की तरफ से लगाई गई तमाम पाबंदियों के बावजूद भारत रूस के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है। भारत ने अमेरिका से भी कच्चे तेल को आयात करने में कटौती की है। भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात फरवरी में बढ़कर रिकॉर्ड 16 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया, जो पुराने वक्त से कच्चे तेल मुहैया कराने वाले देश – इराक और सऊदी अरब के साझा तेल आयात की तुलना में ज्यादा है।
आपको बता दें कि पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंध के बाद भी रूस के साथ खड़ा भारत रूस-यूक्रेन पर हमले के बाद से पश्चिमी देशों की तरफ से लगाई गई आर्थिक पाबंदियों से निपटने के लिए रूस इस समय भारत को रिकॉर्ड मात्रा में कच्चे तेल की बिक्री कर रहा है। तेल के आयात-निर्यात पर नजर रखने वाली संस्था वर्टेक्सा ने बताया कि भारत जितनी मात्रा में तेल आयात करता है उसकी एक तिहाई से अधिक आपूर्ति अकेले रूस ने की है और वह लगातार पांचवे महीने भारत को कच्चे तेल का इकलौता सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने से पहले तक भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम होती थी। लेकिन पिछले महीने फरवरी में यह 35 फीसदी से 16.20 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ गई है।
गौर करने वाली बात ये है कि रूस से भारत का आयात बढ़ने का असर सऊदी अरब और अमेरिका से होने वाले तेल आयात पर पड़ा है। सऊदी अरब से आयात किया जाने वाला तेल मासिक आधार पर 16 फीसदी घट गया जबकि अमेरिका से होने वाले तेल आयात में 38 फीसदी की कमी आई है। 16 महीने में इराक और सऊदी अरब से हुआ सबसे कम आयात वर्टेक्सा के मुताबिक, अब रूस से भारत जितना तेल आयात करता है वह दशकों से उसके आपूर्तिकर्ता रहे इराक और सऊदी अरब से किए जाने वाले कुल आयात से भी ज्यादा है