नई दिल्ली। रविवार को पाकिस्तान ने कश्मीर के लोगों के लिए ‘आत्मनिर्णय दिवस’ मनाया। इस अवसर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा से जम्मू-कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करता रहा है और भविष्य में भी राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर कश्मीरियों का साथ देता रहेगा।
शहबाज शरीफ का संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का जिक्र
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 5 जनवरी 1949 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा पारित ऐतिहासिक प्रस्ताव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्र और निष्पक्ष जनमत संग्रह की गारंटी देता है। शरीफ ने इसे आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए एक अहम दस्तावेज बताया और कहा कि यह अधिकार संयुक्त राष्ट्र चार्टर का एक मुख्य सिद्धांत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर साल संयुक्त राष्ट्र महासभा आत्मनिर्णय के कानूनी अधिकार की वकालत करती है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील
शहबाज शरीफ ने कहा कि अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अपने वादों को पूरा करे। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार देने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।” इसके साथ ही उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकने, राजनीतिक कैदियों की रिहाई और मौलिक अधिकारों की बहाली के लिए वैश्विक समुदाय से अपील की।
अनुच्छेद 370 पर निशाना
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने भारत के 5 अगस्त 2019 के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म कर भारत ने जम्मू-कश्मीर के बहुसंख्यक कश्मीरी लोगों को उनकी मातृभूमि में अल्पसंख्यक बनाने की साजिश रची।
Message of Prime Minister Muhammad Shehbaz Sharif on Right to Self-Determination Day for the People of Jammu & Kashmir pic.twitter.com/lVMbsHDLxM
— Prime Minister’s Office (@PakPMO) January 5, 2025
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का समर्थन
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी कश्मीर के लोगों को राजनीतिक, कूटनीतिक और नैतिक समर्थन जारी रखने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि भारत दशकों से कश्मीरियों को उनके अधिकार से वंचित कर रहा है और उन्हें हिंसा तथा उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
भारत ने किया विरोध
भारत ने हमेशा पाकिस्तान के इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे आंतरिक मामला बताया है। भारत का कहना है कि अनुच्छेद 370 का निरस्त होना भारतीय संविधान के तहत लिया गया एक वैधानिक निर्णय है और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।