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PM Modi Xi Jinping Meeting: 5 साल बाद पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आज होगी द्विपक्षीय बैठक, एलएसी पर गश्त संबंधी समझौते के बाद मिल रहे दोनों नेता

PM Modi Xi Jinping Meeting: पूरी दुनिया की नजर आज रूस के कजान पर है। यहां आज पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 5 साल बाद द्विपक्षीय बैठक करेंगे। एलएसी पर तनाव के कारण मोदी और जिनपिंग के बीच कोई ऐसी बैठक बीते 5 साल में नहीं हुई। अब ये अहम बैठक होने जा रही है।

कजान। पूरी दुनिया की नजर आज रूस के कजान पर है। यहां आज पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 5 साल बाद द्विपक्षीय बैठक करेंगे। एलएसी पर तनाव के कारण मोदी और जिनपिंग के बीच कोई ऐसी बैठक बीते 5 साल में नहीं हुई। चीन और भारत के बीच एलएसी पर गश्त संबंधी समझौते के बाद दोनों नेताओं के बीच आमने-सामने बात होगी। मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक दोनों देशों के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

India vs China

भारत और चीन के बीच जून 2020 से ही बहुत तनाव रहा है। 15 और 16 जून की दरम्यानी रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में घुसपैठ कर रही चीन की सेना का भारतीय जवानों ने विरोध किया था। उस दौरान चीन और भारत के सैनिकों में जमकर संघर्ष भी हुआ था। संघर्ष में चीन के तमाम जवान मारे गए थे। वहीं, भारत के कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हुए थे। इस घटना के बाद ही पूर्वी लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर चीन ने बड़ी तादाद में सेना तैनात की थी। जिसके जवाब में भारत ने भी टैंक और तोपों समेत अपनी सेना के जवानों की बड़े पैमाने पर तैनाती की।

india china army 1

एलएसी पर चीन और भारत की सेना की तैनाती के बीच दोनों देशों में राजनयिक और सैन्य कमांडर स्तर पर बातचीत भी हो रही थी। इस बातचीत का नतीजा अब निकला है और दोनों देश एलएसी पर गश्त के लिए सहमत हो चुके हैं। चीन ने तनाव के दौरान भारतीय सेना और आईटीबीपी को कई जगह गश्त करने से रोका था। भारत ने भी चीन के गश्त पर रोक लगाई थी। अब डेमचोक और देपसांग समेत एलएसी पर भारत और चीन के जवान गश्त करेंगे। अभी ये नहीं पता है कि पेंगोंग सो, पेट्रोलिंग प्वॉइंट 10 और 14 वगैरा में गश्त होगी या नहीं। इसकी वजह ये है कि भारत और चीन के बीच ये भी तय हुआ था कि कुछ जगह बफर जोन बनेगा। जहां दोनों देशों के ही सैनिक नहीं जाएंगे।