
नई दिल्ली। क्वाड सम्मेलन में हिस्सा लेने जापान पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के साथ संबंधों पर दो टूक बात करते हुए कहा कि चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे नहीं चल रहे हैं लेकिन इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। विदेश मंत्री ने बताया साल 2020 में चीन की ओर से सीमा क्षेत्रों में समझौतों का उल्लंघन किया था जिसके चलते दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई।
#WATCH | Tokyo, Japan: On the Russia-Ukraine conflict, External Affairs Minister Dr S Jaishankar says “From the very beginning, we had the view that use of force does not resolve problems between countries. In the last 2-2.5 years, this conflict has cost lives, economic damage,… pic.twitter.com/rMbfWCkm5e
— ANI (@ANI) July 29, 2024
रूस-यूक्रेन युद्ध पर बात करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि शुरू से ही हमारा मानना है कि बल प्रयोग से देशों के बीच समस्याओं का समाधान नहीं होता है। पिछले दो-ढाई वर्षों में यह संघर्ष बढ़ गया है। हमें नहीं लगता कि समाधान युद्ध के मैदान से निकलेगा। हमारा मानना है कि बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का कहना है कि भारत इस साल के क्वाड का मेजबान है और हम अभी भी चर्चा कर रहे हैं कि शिखर सम्मेलन कब करना है। हमारे एजेंडे में डिजिटलाइजेशन, प्रौद्योगिकियां, भौतिक कनेक्टिविटी समेट कई मुद्दे हैं।
#WATCH | Tokyo, Japan: External Affairs Minister Dr S Jaishankar says “It is important for our partners in Japan to appreciate the scale and intensity of the changes which are underway in India to give you a sense for the change. If you look at the last 10 years, we have on… pic.twitter.com/7asIx7xc3w
— ANI (@ANI) July 29, 2024
विदेश मंत्री ने कहा कि जापान में हमारे साझेदारों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे भारत में चल रहे परिवर्तनों के पैमाने और तीव्रता की सराहना करें ताकि आपको बदलाव का एहसास हो सके। यदि आप पिछले 10 वर्षों को देखें, तो हमने हर साल औसतन 8 नए हवाई अड्डे बनाए हैं, हर साल नए शहरों में लगभग 1.5-2 नए महानगर बनाए हैं, हम हर दिन 28 किमी. राजमार्ग का निर्माण कर रहे हैं, हम हर दिन 8 किमी. रेलवे ट्रैक बिछा रहे हैं, यदि आप हमारी शिक्षा और कौशल को देखें पिछले 10 वर्षों में शैक्षणिक संस्थानों की संख्या दोगुनी हो गई है और यह कोई संयोग नहीं है कि अब भारत भर में 1,600 वैश्विक क्षमता केंद्र हैं जो हर साल 100 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात उत्पन्न करते हैं।