नई दिल्ली। चीन (China) के मानवाधिकार (Human rights activist) ने पूरी दुनिया के सामने अपने देश की पोल खोली है। उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। चीन के मानवाधिकार कार्यकर्ता स्कॉलर टेंग बियाओ (Teng Biao) ने ये सब ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी: ए एक्सीटेंसियल थ्रेट टू ह्यूमैनिटी एंड द रूल्स बेस्ड वर्ल्ड ऑर्डर’ नामक एक वेबिनार के दौरान बताया। जिसमें उन्होंने कहा कि 2012 में शी जिनपिंग के चीनी राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से चीन में हालात सबसे खराब हो गए हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि शी ने असंतुष्टों पर हमला किया और कम से कम तीन 300 वकीलों को हिरासत में लिया और 2012 से सभी को जेलों में बंद कर दिया गया।
इस दौरान उन्होंने शी जिनपिंग की सरकार पर आरोप लगते हुए कहा, ”मेरा चीन मेंअपहरण कर लिया गया, गायब कर दिया गया और प्रताड़ित किया गया। शी जिनपिंग की सरकार ने इंटरनेट, विश्वविद्यालयों और नागरिक समाज पर व्यापक नियंत्रण में अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया। झिंजियांग में, 21वीं सदी में सबसे खराब मानवीय आपदा का नेतृत्व करने के लिए कम से कम 20 लाख वीगर मुसलमानों और अन्य तुर्क मुसलमानों को हिरासत में लिया गया।”
इसके अलावा उन्होंने कहा कि,”CCP ने 1949 में एक अधिनायकवादी शासन की स्थापना की और कुओमिन्तांग लोगों को मारना शुरू किया और जमीदारों का कत्लेआम किया और शुरू से ही एक मानवीय आपदा साबित हुई। पीएलए और अकाल के कारण लाखों चीनी लोग मारे गए। 1989 में, उन्होंने तियानमेन चौक पर हजारों प्रदर्शनकारियों का नरसंहार किया। 1999 में, लाखों फालुन गोंग चिकित्सकों को जेलों में बंद कर दिया गया और हजारों को मौत के घाट उतार दिया गया।”
उन्होंने एक चीनी कवि की कहानी भी सुनाई जिसके सीसीपी के खिलाफ लेख की वजह से धमकी दी जा रही थी। बाद में उसे 1990 में स्वीडिश पासपोर्ट मिला। हालांकि, 2015 में, उनका थाईलैंड में अपहरण कर लिया गया था। बाद में लंबे समय तक गायब रहने के बाद छोड़ दिया गया। फिर उसे कुछ यूरोपीय सांसदों के सामने ले जाया गया और फिर गायब कर दिया गया।