नई दिल्ली। पाकिस्तान के करीबी तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने एक बार फिर से कश्मीर का राग अलापा है। बता दें कि इससे पहले भी कई मौकों पर एर्दोगन जम्मू-कश्मीर का जिक्र कर चुके है। लेकिन इस बार तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर को लेकर जो कुछ भी कहा, वह खासा चर्चा में है। दरअसल, तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व नेताओं को संबोधित करने के दौरान कहा कि, ”हम 74 वर्षों से कश्मीर में चल रही समस्या के बीच बातचीत और प्रसांगिक संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के ढांचे के भीतर हल करने के पक्ष में अपना रूख बनाए रखते हैं।” बता दें कि इससे पहले भी तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर को लेकर बयान दिया था तो भारत ने साफ लहजे में सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि, ”उसे दूसरे देशों की संप्रभुता का लिहाज रखना चाहिए और अपनी नीतियों पर अधिक गहराई से विचार करना चाहिए।” उस वक्त भारत ने तुर्की के बयान को सिरे से खारिज कर दिया था।
गौर वाली बात यह है कि जब विश्व के तमाम देश संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर कश्मीर को लेकर बेबाकी से बयान देते रहे हैं, तो भारत की तरफ से इस तरह की सख्त प्रतिक्रिया नहीं देखी गई है,जैसे कि तुर्की के मामले में देखी जा रही है। दरअसल, तुर्की पाकिस्तान का करीबी माना जाता है और तुर्की की यह पुरानी फितरत रही है कि वो किसी भी विवादित मसले को लेकर बिना सोचे समझे ही पाकिस्तान का साथ देता हुआ आया है। ऐसे में भारत का इस तरह से कश्मीर मसले को लेकर तुर्की का विरोध करना लाजिमी है।
विगत वर्ष पाकिस्तान की यात्रा पर गए तुर्की के राष्ट्रपति ने कश्मीर का मसला उठाया था। जिसका पाकिस्तान ने तो खुले दिल से स्वागत किया, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुर्की के राष्ट्रपति द्वारा कश्मीर मसले पर दिए बयान के प्रति अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा था कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का कश्मीर के संदर्भ में दिया गया बयान न इतिहास की समझ को दर्शाता है और न ही कूटनीति के संचालन को दर्शाता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि तुर्की द्वारा लगातार कश्मीर मसले में पाकिस्तान को सही ठहराने की कोशिशों से भारत और तुर्की के रिश्ते पर नकारात्मक असर पड़ेगा, लेकिन विदेश मंत्रालय के इस बयान से बेपरवाह लगातार तुर्की पाकिस्तान का साथ देते हुए आया है। इसी कड़ी में विगत मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए दिया गया उनका यह बयान काफी सुर्खियों में है।
उईगर मुस्लिमों का किया जिक्र
तुर्की के राष्ट्रपति ने अपने बयान में कश्मीर के इतर चीन में उईगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार का भी जिक्र किया। उन्होंने इसकी जांच मानवाधिकार आयोग से कराने की भी बात कही। उईगर मुस्लिमों के संदर्भ में दिया गया उनका यह बयान अभी वैश्विक मंच में काफी सुर्खियों में है। इसके अलावा उन्होंने रोहिंग्या मुस्लिमों का जिक्र कर कहा कि उन्हें सम्मानजनक रूप से जीवन जीने का पूरा हक है। इस दिशा में हमें कदम उठाने की जरूरत है।