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First Flight Uses Cooking Oil: चौंकाने वाली घटना, रसोई में इस्तेमाल होने वाले तेल का इस्तेमाल कर लंदन से न्यूयॉर्क पहुंचा विमान!

अभी विमानों में जो एविएशन फ्यूल इस्तेमाल होता है, उससे काफी कार्बन निकलता है और इससे पर्यावरण को नुकसान भी बहुत पड़ता है। अब वर्जिन अटलांटिक ने राह दिखा दी है कि किस तरह एविएशन की दुनिया में नया बदलाव लाया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट को ब्रिटिश सरकार भी आर्थिक मदद दे रही है।

लंदन। विमानन के क्षेत्र में बड़े कदम के लिए नींव पड़ चुकी है। पहली बार किसी विमान ने खाने वाले तेल का इस्तेमाल कर अटलांटिक महासागर को पार किया। आप सुनकर चौंक रहे होंगे कि जिस तेल का इस्तेमाल आप रसोई में भोजन पकाने के लिए करते हैं, उसका इस्तेमाल कर विमान भी उड़ सकता है! जी हां, ऐसा संभव कर दिखाया है सर रिचर्ड ब्रैनसन ने। रिचर्ड ब्रैनसन अरबपति हैं और उनकी वर्जिन अटलांटिक नाम की कंपनी है। रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी के एक बोइंग-787 विमान ने मंगलवार को लंदन के हीथ्रो से न्यूयॉर्क के जॉन एफ केनेडी एयरपोर्ट तक का सफल सफर सस्टेनेबल ईंधन से किया। इस ईंधन में खाने का तेल भी शामिल होता है। लंदन से न्यूयॉर्क के बीच विशाल अटलांटिक महासागर है और इसके ऊपर से विमानों की उड़ान काफी कठिन मानी जाती है।

अटलांटिक महासागर पार करने और वो भी खाने वाले तेल को बतौर ईंधन इस्तेमाल कर, ने विमानन के क्षेत्र में नई क्रांति के दरवाजे खोल दिए हैं। जिस विमान को खाने वाले तेल से इस लंबी दूरी की उड़ान पर ले जाया गया, उसमें रिचर्ड ब्रैनसन के अलावा ब्रिटेन के परिवहन मंत्री और कुछ खास लोग ही मौजूद थे। विमान को किसी भी तरह के खतरे की आशंका के कारण इससे आम यात्रियों को दूर रखा गया था। हालांकि, ये प्रयोग सफल होने से अब आने वाले वक्त में खाने के तेल का इस्तेमाल कर उड़ान भरने वाले विमानों से आम लोग भी सफर कर सकेंगे। जिस सस्टेनेबल फ्यूल से वर्जिन अटलांटिक के विमान ने लंदन से न्यूयॉर्क तक की उड़ान भरी, उसमें खाने के तेल के अलावा जैविक ईंधन यानी बायोमास भी मिलाया जाता है। इसे केरोसीन में 50 फीसदी तक मिलाकर विमान को उड़ाया गया। सुनिए इस उड़ान के बारे में इसमें सवार लोगों की क्या प्रतिक्रिया है।

बायोमास और खाने के तेल से बने ईंधन के जरिए विमान उड़ाने से कार्बन फुटप्रिंट यानी कार्बन का उत्सर्जन बहुत कम होगा। अभी विमानों में जो एविएशन फ्यूल इस्तेमाल होता है, उससे काफी कार्बन निकलता है और इससे पर्यावरण को नुकसान भी बहुत पड़ता है। अब वर्जिन अटलांटिक ने राह दिखा दी है कि किस तरह एविएशन की दुनिया में नया बदलाव लाया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट को ब्रिटिश सरकार भी 12 लाख पाउंड से ज्यादा की धनराशि से मदद दे रही है। इससे पहले एक विमान ने सौर ऊर्जा से दुनियाभर का चक्कर लगाया था। हालांकि, उस विमान में सिर्फ एक ही व्यक्ति के बैठने की जगह थी।