newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

नेपाल से निपटा तो भूटान की जमीन पर ड्रैगन ने गड़ाई नजर, कहा- उनके साथ भी है सीमा विवाद

चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। किसी भी देश की सीमा में टांग अड़ाना चीन की आदत बन गई है। पहले चीन ने लद्दाख में धोखेबाजी की, अब उसकी नजर भूटान की सीमा पर है। ड्रैगन का कहना है कि भूटान के साथ भी पूर्वी क्षेत्र में उसका सीमा विवाद है।

नई दिल्ली। चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। किसी भी देश की सीमा में टांग अड़ाना चीन की आदत बन गई है। पहले चीन ने लद्दाख में धोखेबाजी की, अब उसकी नजर भूटान की सीमा पर है। ड्रैगन का कहना है कि भूटान के साथ भी पूर्वी क्षेत्र में उसका सीमा विवाद है।

चीन का दावा इसलिए अहम है कि इस इलाके की सीमा अरुणाचल प्रदेश से भी लगती है। चीन अरुणाचल प्रदेश पर कई बार अपना दावा कर चुका है। चीनी विदेश मंत्रालय ने भूटान के साथ सीमा विवाद पर एक बयान जारी किया है। इसके मुताबिक चीन-भूटान सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है और पूर्वी, मध्य और पश्चिमी हिस्से पर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। साथ ही चीन ने कहा कि वो इस मसले पर किसी तीसरे पक्ष का दखल नहीं चाहता है। जाहिर है चीन का इशारा भारत की तरफ है।

चीन की विस्तारवादी नीति

पिछले दिनों लद्दाख के दौरे पर पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बिना उस पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘भारतीय सैनिकों ने जो बहादुरी दिखाई, उससे भारत की ताकत के बारे में दुनिया को एक संदेश गया है। विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है। ये युग विकासवाद का है। यही प्रासंगिक है। बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का सबसे ज्यादा नुकसान किया है। विस्तारवाद की जिद जिस पर सवार होती है, उसने शांति के लिए खतरा पैदा किया है। लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट गई हैं।’ प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान पर चीन ने सफाई देते हुए कहा था कि उन्हें विस्तारवादी के रूप में देखना सही नहीं है।


भारत और भूटान के रिश्ते

एक्सपर्ट्स की मानें तो चीन यहां जानबूझ कर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि साल 2007 की भारत-भूटान मैत्री संधि के मुताबिक दोनों देश राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ सहयोग कर सकते हैं। भूटान के साथ भारत के हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने पहले विदेश दौरे के रूप में भूटान को ही चुना था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि पड़ोसी देशों से मजबूत संबंध बनाए रखना उनकी प्राथमिकता होगी।