नई दिल्ली। चीन में शी जिनपिंग की सरकार है जो किसी भी छोटी से छोटी गलती के लिए चाहे वो कोई आम नागरिक हो या कोई प्रशासनिक अधिकारी हो कड़ी से कड़ी सजा देते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी चीन में इन दिनों भ्रष्टाचार की खबरें लगभग आम बात हो गई हैं। चीन में लगातार भ्रष्टाचार का मुद्दा चीन के लिए गंभीर होता जा रहा है। चीन के हर सेक्टर में, चाहे वो शिक्षा, स्वास्थ्य, या न्याय का ही क्यों न हो, करप्शन ने अपनी जगह बेहद मजबूत कर ली है। शी जिनपिंग की सरकार के लिए सबसे बड़ी मुसीबत ये है कि कैसे इस समस्या से निजात पाई जाए। इतना ही नहीं चीन कम्युनिस्ट पार्टी के ऊपर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।
आरोप ये है कि पार्टी के लोगों ने अपने निजी फायदों के लिए सत्ता का दुरूपयोग किया है। वजह चाहे जो भी हो लेकिन इस सबके चलते चीन में लगातार बेरोजगारी की समस्या भी विकराल रूप धारण करती जा रही है। गरीब लोग पहले के मुकाबले अधिक गरीब होते जा रहे हैं। जबकि अमीरों को भ्रष्टाचार के चलते अधिक फायदा होने लगा है। इन्हीं समस्याओं से आम जनता बेहाल है। आपको बता दें कि 2012 से चीन में भ्रष्टाचार विरोधी कोशिशों के तहत न्यायपालिका, बैंकिंग सेक्टर, कानून लागू करने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में मौजूदा समय में करीब 30 लाख से अधिक अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच के लपेटे में हैं। इसमें दर्जनों की संख्या में मंत्री स्तर के अधिकारी, और सैकड़ों की तादाद में उपमंत्री स्तर के अधिकारी, राज्य स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं।
भ्रष्टाचार का सबसे लेटेस्ट मामला अगर आप देखेंगे तो पाएंगे कि पिंगगुओ म्युनिसिपल पार्टी के कमेटी के पूर्व सचिव लुओ चेंग के ऊपर ये गंभीर आरोप लगे हैं। उनके ऊपर जो अनुशासनहीनता और कानून के उललंघन के आरोप लगे हैं वे बेहद गंभीर हैं। इसके साथ ही स्वायत्त क्षेत्र की पर्यवेक्षी समिति और अनुशासन आयोग की ओर से इसकी जांच की जा रही है। अगस्त 2003 में लुओ चेंग ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ली थी। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए और मई 2020 में उन्हें पिंगुओ सिटी के अंतरिम मेयर के रूप में चुना गया। इसके बाद, जून 2021 में चेंग को पिंगुओ म्युनिसिपल पार्टी कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया। लेकिन चीन के भीतर नेताओं और अधिकारीयों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की जो सूची है वो सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं।